नई दिल्ली. डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की और कहा कि उन्होंने हमेशा मेरी आलोचनाओं को सहजता से स्वीकार किया. समाचार एजेंसी एएनआई के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, ‘मुझे पीएम मोदी को श्रेय देना चाहिए. मैंने उनके साथ जो किया, उसके लिए वो हमेशा मेरे लिए उदार ही बने रहे. विपक्ष के नेता के रूप में मैंने उन्हें किसी भी मुद्दे पर नहीं बख्शा चाहे वह धारा 370 हो या सीएए या हिजाब. मैंने कुछ विधेयकों को पूरी तरह से विफल कर दिया, लेकिन मुझे उन्हें इसका श्रेय देना चाहिए कि उन्होंने एक राजनेता की तरह व्यवहार किया, उसका बदला नहीं लिया.’
गुलाम नबी ने उनके और जी23 के साथ भाजपा के करीबी रिश्ते होने के आरोपों पर भी अपनी राय जाहिर की. उन्होंने कहा, ‘ऐसा कहना मूर्खता है. अगर मैं जी23 समूह बीजेपी का प्रवक्ता था, तो उनके सदस्यों को कांग्रेस ने सांसद क्यों बनाया? उनके लोगों को सांसद, महासचिव और पदाधिकारी क्यों बनाया है? मैं अकेला हूं जिसने कांग्रेस से अलग होकर पार्टी बनाई है. बाकी लोग अभी वहीं हैं. यह दुर्भावनापूर्ण, अपरिपक्व और बचकाना आरोप है.’
दरअसल, जी23 को कांग्रेस के बागी नेताओं का संगठन माना जाता है. अगस्त, 2020 में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और 21 अन्य कांग्रेस नेताओं ने बैठक कर सोनिया गांधी को पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने पार्टी को फिर से मज़बूत करने के लिए कई मांग की थी जिनमें संगठन के चुनाव कराने और सक्रिय नेतृत्व की मांग प्रमुख थीं. उनके इस पत्र को कांग्रेस नेतृत्व को चुनौती के रूप में देखा गया.
गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा, ‘मैं कांग्रेस को बेनकाब और पूरी तरह से ध्वस्त नहीं करना चाहता. पार्टी आलाकमान के साथ मेरे कुछ मतभेद हो सकते हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी या कांग्रेस की विचारधारा से मेरे कोई मतभेद नहीं हैं. मेरा कांग्रेस की विचारधारा या पहले के कांग्रेस नेतृत्व से कोई मतभेद नहीं है. बेशक मैंने अपनी किताब में नेहरू जी के समय में, इंदिरा जी के समय में, राजीव जी के समय में क्या गलत हुआ, इसका उल्लेख किया है, लेकिन मैंने यह भी कहा कि वे बड़े नेता थे.’
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, ‘नेहरू जी, राजीव गांधी, इंदिरा गांधी इस आघात को सहन कर सकते थे, उनमें सहनशक्ति थी, उन्हें जनता का समर्थन और सम्मान था और समय के साथ अपने काम से वे हालात को पलट सकते थे, लेकिन वर्तमान कांग्रेस नेतृत्व का लोगों पर कोई प्रभाव नहीं है.’ गौरतलब है कि आजाद ने पिछले साल अगस्त में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और फिर डीएपी की स्थापना की थी. हालांकि, पार्टी गठित होने कुछ हफ्ते बाद ही इसमें कलह शुरू हो गई.