अमेरिका से भारत के लिए आई Good News, टैरिफ वॉर में डोनाल्ड ट्रंप ने लिया बड़ा फैसला…

Donald Trump Tariff On India: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) टैरिफ वार के बीच अमेरिका से भारत के लिए गुड न्यूज (Good News) भी आई है। रिपोर्ट की मानें तो अमेरिका जैसे को तैसा वाले टैरिफ वार में भारत को चीन, मेक्सिको और कनाडा से नहीं जोड़ेगा। ट्रंप ने भारत को अलग टैरिफ कैटेगरी में रखने के संकेत दिए हैं। अधिकारियों ने कहा है कि US भारत को चीन और कनाडा की टैरिफ कैटेगरी में नहीं जोड़ेगा।

सूत्रों के मुताबिक भारत के व्यापार अधिकारियों ने दिल्ली में अपने समकक्षों को बताया कि अमेरिका कथित तौर पर भारत को चीन, मेक्सिको और कनाडा के साथ नहीं जोड़ेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नया टैरिफ स्ट्रक्चर चरणबद्ध हो सकता है और हाई डिमांड वाले सामानों पर टैरिफ में कमी देखने को मिल सकती है, जिससे भारत को कुछ सेक्टर्स में बड़ी राहत मिल सकती है।

ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि ये वार्ता 3 दिनों के भीतर नई डील की रूपरेखा को अंतिम रूप दे सकती है। हालांकि, इस दौरान अमेरिकी अधिकारियों द्वारा भारत पर अधिक रियायत के लिए दबाव भी डाला गया है।

रिपोर्ट की मानें, तो व्यापार अधिकारियों ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत करने के लिए अमेरिकी  अधिकारियों के साथ अपनी पहली व्यक्तिगत बैठक की है। खास बात ये है कि यह बैठक 2 अप्रैल की समय सीमा से पहले हुई, जिस तारीख से भारत पर ट्रंप का रेसिप्रोकल टैरिफ लागू होने वाला है। इसमें कहा गया है कि ट्रंप प्रशासन भारत को China, Mexico और Canada जैसे देशों के साथ नहीं जोड़ता है। अधिकारियों के मुताबिक, इसके पीछे की वजह ये है कि US के पास चीन, मेक्सिको और कनाडा के साथ करेंसी हेरफेर, अवैध प्रवास के साथ ही अन्य कई तरह की सुरक्षा चिंताओं से संबंधित गंभीर मुद्दे हैं। दूसरी ओर भारत के साथ अमेरिका का केवल टैरिफ का मुद्दा है, जिसे दोनों देश सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा रहे हैं।

अप्रैल में वित्त मंत्री की US यात्रा

ऐसा भी कहा जा रहा है कि अप्रैल 2025 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) की अमेरिका यात्रा भी मौजूदा वार्ता को आगे बढ़ा सकती है। इस बीच बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और राष्ट्रपति ट्रम्प (Donald Trump) ने बीते 13 फरवरी को भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक 200 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करने का लक्ष्य तय किया था।

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