नई दिल्ली. उत्तरकाशी में टनल धसने के बाद फंसे मजदूरों को बाहर निकालने का काम तेजी से जारी है. अंदर फंसे 40 मजदूरो को बाहर निकाले की दिशा में गुरुवार देर रात बड़ी सफलता मिली. टनल के अंदर 900 मिली मीटर चौड़ाई और 6 मीटर लंबाई वाले पांच पाइप डाले गए हैं, जिसकी मदद से फंसे हुए लोगों से संपर्क हो पाया है. बताया गया कि मलबे के अंदर किसी कठोर पदार्थ की मौजूदगी ने ड्रिलिंग की प्रक्रिया को अस्थायी रूप से रोक दिया. केंद्र सरकार ने टनल के अंदर मौजूद मलबे की जियोफिजिकल स्टडी कराई है. इसके लिए दिल्ली से ऑपरेशन साइट पर साइंटिस्ट की टीम पहुंची. मलबे में बड़े बोल्डर और मशीनों के दबे होने की आशंका है. कहा जा रहा है कि जियोफिजिकल स्टडी से ही तस्वीर साफ हो सकती है.
रिपोर्ट के मुताबिक कठोर पदार्थ को हटाने के लिए डायमंड-बिट मशीनों की मदद ली गई और इसके तुरंत बाद ड्रिलिंग फिर से शुरू की गई. इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर की तरफ से बताया गया कि शुक्रवार सुबह 6 बजे तक, एडवांस ड्रिलिंग मशीन की मदद से टनल के भीतर जमा हुए मलबे को 25 मीटर तक ड्रिल किया था. फंसे हुए मजदूरों तक पहुंचने के लिए अभी भी 30 से 40 मीटर तक खुदाई किया जाना बाकी है. ड्रिलिंग मशीन पूरी क्षमता पर काम कर रही है ताकि जल्द से जल्द मजदूरों को बाहर निकाला जा सके.
इंदौर से मंगाई गई मशीन
राष्ट्रीय राजमार्ग एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड के निदेशक अंशू मनीष ने कहा कि ड्रिलिंग कार्य में अच्छी प्रगति हो रही है. “हम जल्द ही अंत तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं. हम इंदौर से एक और मशीन एयरलिफ्ट कर रहे हैं जो कल सुबह तक हम तक पहुंच जाएगी. बरमा खोदना एक त्वरित प्रक्रिया है लेकिन पाइपों को फिर से भरना महत्वपूर्ण है, जिसमें समय लगता है.’
भूस्खलन के कारण निर्माणाधीन टनल के ढहने के बाद बचाव प्रयासों में तेजी लाने के लिए 24 टन वजनी उच्च प्रदर्शन वाली बरमा ड्रिलिंग मशीन को लाया गया था. अधिकारियों का अनुमान है कि फंसे हुए श्रमिकों तक पहुंचने के लिए लगभग 45 से 60 मीटर तक ड्रिलिंग जारी रखने की जरूरत होगी. मशीन 5 मीटर प्रति घंटे की दर का खुदाई का दावा करती है, जो पिछली मशीन की क्षमता से एक महत्वपूर्ण वृद्धि है.