भारत सरकार ने समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन और जमाखोरी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाया हैं. सरकार ने तत्काल प्रभाव से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के थोक, खुदरा, बड़े खुदरा विक्रेताओं और प्रसंस्करण फर्मों के लिए गेहूं पर स्टॉक सीमा लगा दी है. सरकार ने खाद्य पदार्थों पर लाइसेंसिंग आवश्यकताओं, स्टॉक सीमा तथा आवाजाही प्रतिबंधों को हटाने संबंधी (संशोधन) आदेश, 12 जून 2023 को जारी किया था और यह आदेश सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 31 मार्च 2024 तक लागू था.
उपभोक्ता एवं खाद्य वितरण मंत्रालय ने तत्काल प्रभाव से व्यापारियों व थोक विक्रेता के लिए गेंहू की मौजूदा स्टॉक सीमा 2000 मीट्रिक टन से घटाकर 1000 मीट्रिक टन कर दी हैं. वही प्रत्येक खुदरा विक्रेताओं के लिए स्टॉक सीमा 10 मीट्रिक टन से घटाकर 5 टन किया गया हैं. इसके अलावा बड़े खुदरा विक्रेताओं के प्रत्येक डिपो के लिए मौजूदा स्टॉक सीमा 10 मीट्रिक टन और उनके सभी डिपो पर 2000 मीट्रिक टन से घटाकर 5 मीट्रिक टन और उनके सभी डिपो के लिए यह सीमा शुल्क कुल 1000 मीट्रिक टन कर दी गई हैं.
फर्म के खिलाफ की जायेगी कार्रवाई
मंत्रालय के अनुसार सभी गेहूं स्टॉकिंग संस्थाओं को गेहूं स्टॉक सीमा पोर्टल (https://evegoils.nic.in/wsp/login) पर पंजीकरण करना होगा. इसके साथ ही प्रत्येक शुक्रवार को स्टॉक स्थिति अपडेट करना आवश्यक है. अगर कोई भी संस्था जो पोर्टल पर पंजीकरण नहीं करती हैं या स्टॉक सीमा का उल्लंघन करती है, तो उस फर्म के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 6 और 7 के अंतर्गत उचित दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी.
खाद्य एंव उपभोक्ता मंत्रालय के मुताबिक प्रसंस्करण करने वाली कंपनी चालू वित्त वर्ष 2023-24 के बाकि महीनों के अनुपात में मासिक स्थापित क्षमता का 70 प्रतिशत फीसदी रख सकती हैं. उन्होंने कहा सरकार ने गेहूं के अभाव की स्थिति को रोकने और जमाखोरी पर रोक लगाने के लिए गेहूं स्टॉक सीमा को संशोधित करने का निर्णय लिया हैं. संशोधित स्टॉक सीमा तत्काल प्रभाव से लागू होगी. व्यापारियों को अपना स्टॉक संशोधित सीमा तक कम करने के लिए 30 दिन का समय दिया जायेगा.