माता-पिता सहित गुरूओं का मुझ पर बड़ा उपकार – मुमुक्षु मयंक लोढ़ा

पत्रकार वार्ता में दिया दुर्व्यसन मुक्ति का संदेश
राजनांदगाँव। शहर के 28 वर्षीय दीक्षार्थी मयंक ने आज दोपहर जैन बगीचा में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि माता-पिता सहित गुरूओं का उन पर बड़ा उपकार है। माता-पिता व गुरूजन करूणा के सागर है। उन्होंने कहा कि अंतरात्मा में अनंत शक्तियाँ छुपी हुईं है। उन्हें प्रकट करने के लिये वे गुरू की शरण में जा रहे हैं। बताया कि सराफा के व्यवसाय में थोडे़ दिनों में ही यह अनुभव हुआ कि जीवन में धन कमानें से तृष्णा बढ़ती है और झूठ बोलने पड़ते हैं, जब निर्वाह के लिये आवश्यक धन तो पहले से है। मयंक लोढ़ा ने संयम पथ पर चलना सांसारिक जीवन से पलायन नहीं अपितु संतों की, गुरूओं की सेवा का ही मार्ग है। अपनी वाणी के अंत में उन्होंने बुरी आदतें छोड़ देने का सभी को संदेश दिया।
पत्रकार वार्ता में दीक्षार्थी की माता श्रीमती ललिता लोढ़ा ने रूंधे गले से लेकिन गौरवान्वित होकर कहा कि उनका बेटा गुरूजनों में शीश समर्पित कर दे। पिता संतोष लोढ़ा ने कहा कि वियोग का दुःख तो है। आँसू भी आ जाते हैं, लेकिन सत्य तो यही है कि संसार में दुःख ही दुःख है। गर्व इस बात का है कि पुत्र मयंक ने अच्छा रास्ता चुना है।
संयम सौंदर्य उत्सव के उक्त अवसर पर मुमुक्षु मयंक जी का सांसारिक परिचय विनेश चोपड़ा, नरेंद्र डाकलिया ने संयुक्त तौर से दिया। इस मौके पर सकल जैन श्री संघ के अध्यक्ष नरेश डाकलिया ने मयंक जी को भावपूर्ण शुभकामनाये दिया।

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