जब हम शारीरिक या मानसिक रूप से बहुत अधिक गुस्सा, डर और तनाव लेते हैं तो शरीर अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल इससे निपटने में करता है, जिसे फाइट या फ्लाइट रिस्पांस कहते हैं. इसमें नर्वस सिस्टम एडरनल ग्लैंड को एड्रेनालिन और कॉर्टिसोल छोड़ने के निर्देश देते हैं. इन हार्मोन्स की वजह से दिल की धड़कन बढ़ जाती है, बीपी बढ़ जाता है, पाचन क्रिया प्रभावित होती है और रक्त के प्रवाह में ग्लूकोज का स्तर तेजी से बढ़ता है.
गुस्सा
गुस्सा करने के दो घंटे बाद हार्ट अटैक आने की संभावना बढ़ जाती है. लेकिन रचनात्मक क्रोध… अर्थात सहज रूप से क्रोधित होने के बजाय, क्रोध को भड़काने वाली स्थितियों पर क्रोधित होने से हृदय पर कम प्रभाव पड़ सकता है. साथ ही गुस्सा करने के छह घंटे के भीतर शरीर में एंटीबॉडी की मात्रा कम हो जाती है और इम्यून सिस्टम लकवाग्रस्त हो जाता है. यदि क्रोध पर नियंत्रण कर लिया जाए तो भी जीवन प्रत्याशा कम हो जाएगी. अत: आवश्यकता पडऩे पर ही क्रोध प्रकट करना चाहिए.
भावनाएं
लाचारी और अवसाद जैसी भावनाएँ शरीर में हार्मोनल असंतुलन का कारण बनती हैं. खुशी मस्तिष्क में उन रसायनों के उत्पादन को कम करती है जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करते हैं. इसलिए ऐसी भावनाओं के मूल कारणों की तलाश की जानी चाहिए और उन्हें ठीक किया जाना चाहिए.
तनाव
डीएनए में टेलोमेरेस की लंबाई गंभीर तनाव से घट जाती है. नतीजतन, लाइफ एक्सपेक्टेंसी कम हो जाती है.
डर
डर… लड़ाई और उड़ान प्रतिक्रिया के लिए है. लेकिन अगर यही भाव लगातार बना रहे तो कार्डियो वैस्कुलर सिस्टम को नुकसान होने के साथ-साथ भूख धीमी हो जाती है और अपच होने लगती है. इसलिए व्यर्थ के भय और शंकाओं से छुटकारा पाएं.
हंसी
प्रतिरक्षा-सहायक कोशिकाओं के विकास के साथ-साथ हँसी संक्रमण से लड़ने वाले एंटीबॉडी को भी बढ़ाती है. इसलिए कहा जाता है कि सुख आधी ताकत है. हँसी रक्त वाहिका के कार्य और रक्त परिसंचरण में सुधार करती है. नतीजतन दिल की सेहत दुरुस्त रहती है.