बिलासपुर। मिडिल स्कूल और लेक्चरर के प्रमोशन पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. राज्य सरकार ने प्रमोशन के लिए अनुभव की सीमा को 5 साल से घटाकर 3 साल कर दिया था, जिससे सीनियर शिक्षकों का प्रमोशन प्रभावित हो रहा था. इसे देखते हुए सीनियर शिक्षकों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस अरुप कुमार गोस्वामी की डिवीजन बेंच में हुई. इस मामले में राज्य शासन को नोटिस जारी करके जवाब मांगा गया है.
बता दें प्रदेश में शिक्षाकर्मियों के लिए साल 2010 में विभागीय पदोन्नति का प्रावधान लागू किया गया था. इसके तहत उन्हें एक परीक्षा देकर मिडिल स्कूल का हेडमास्टर बनाना था. ऐसे में विभागीय परीक्षा देकर कई शिक्षाकर्मी हेडमास्टर बन गए थे, जिन्हें ई-कैडर शिक्षक का नाम दिया गया है. बाकी शिक्षक शिक्षाकर्मी ही बने रहे. बाद में 2018 में राज्य सरकार ने नीतिगत निर्णय लेते हुए शिक्षाकर्मियों का संविलियन कर दिया. उन्हें एल बी शिक्षक का नाम दिया गया.
प्रमोशन के नियम
शासन के नियम अनुसार शिक्षकों को पांच साल की सेवा के बाद प्रमोशन दिया जाना है, लेकिन राज्य शासन ने दिसंबर 2021 में नोटिफिकेशन जारी कर दिया था, जिसमें पांच साल के अनुभव को कम कर तीन साल कर दिया. इसे ई-संवर्ग के शिक्षकों ने सीनियर एडवोकेट प्रफुल्ल भारत के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी. अधिवक्ता प्रफुल्ल ने कोर्ट को बताया कि वर्तमान प्रमोशन की प्रक्रिया में राज्य सरकार ने नया नियम बनाया है, जिसमें ई-संवर्ग और एलबी शिक्षकों के 50-50 प्रतिशत पद प्रमोशन से भरने की व्यवस्था बनाई है. उन्होंने तर्क दिया कि ई-कैडर वालों की पोस्टिंग 2010 में हुई थी, जबकि एलबी कैडर के शिक्षकों की नियुक्ति बाद में हुई थी. ऐसे में नियम के अनुसार पांच साल में प्रमोशन दिया जाना है. जबकि, एलबी शिक्षकों को तीन साल में ही पदोन्नति देने की व्यवस्था की गई है.