मान मन की खुराक है, भावना भव नाशनी है – आचार्य श्री विद्यासागर महाराज

डोंगरगढ़.संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरि डोंगरगढ़ में विराजमान है | आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि श्रवण बेलगोला में युग के आदि के जो प्रथम काम देव माने जाते हैं उनकी प्रतिमा बनी थी उनके अभिषेक होना था जिसे देखने बहुत सारी जनता एकत्रित हुई थी | एक से बढ़कर एक सेठ साहूकार अभिषेक करने के लिए आये थे | सभी बड़े – बड़े सेठ साहूकार हाथों में कलशा लेकर के क्रमशः अनुमति दी गयी थी |  अभिषेक प्रारम्भ हो गया बड़े – बड़े घड़ों से वहां अभिषेक किया किन्तु जल की धारा नाभी के निचे नहीं आयी | इतने सारे – सारे घड़े डाले अब क्या करेंगे ? सभी देखते रहे पूरा पानी जो लाया गया था डाल दिया गया | कई व्यक्तियों ने अपने – अपने ढंग से सोचा समझा की किसी देव ने आकर कीलित कर दिया होगा |
इसी बीच में एक बुढ़िया अपने हाथ में जल भरकर छोटी लुटिया लेकर आयी | सभी ने कहा की दादी – दादी इतने बड़े – बड़े घड़े खली हो गए ये आपकी छोटी सी लुटिया से क्या होगा तो उसकी भावना को देखते हुए एक व्यक्ति ने उसकी लुटिया को ऊपर ले गया | जब उसका क्रम आया तो उसके लुटिया की धारा ऊपर से आकर नाभी को भी पार कर गयी | भावों से हाइट गौण हो सकती है | ये हाइट कोई हाइट नहीं ये तो भाव है | भावना भव नाशनी कवियों ने कहा है | भावना भव को नाश करने की क्षमता रखती है | इसलिए बोलियाँ चढ़ नहीं पा रही थी आपने कहा महाराज आप चलो हम तो आपकी बात नहीं करेंगे हमे तो बस दादी की बात आपको याद दिलाने का मन कर गया | मोक्ष मार्ग में व्यवधान होता है वह मान है | मान मन की खुराक है | सबके (सभी पांच इन्द्रियों के ) भिन्न – भिन्न विषय हैं किन्तु मन का विषय मान है | मान के कारण ही मनुष्य आज तक मोक्ष मार्ग को पार नहीं कर पाया | जिनका अभिषेक हुआ उनके जीवन में भी वही मान था | भरत को तो जीत सका लेकिन अपने भीतर जो मान बैठा है अनन्तानुबन्धी, प्रत्याख्यान, अप्रत्याख्यान सब गया किन्तु अन्दर जो मान की संज्वलन जो दीपक जल रहा है उसको धीरे – धीरे ही कम करना पड़ता है | एक वर्ष तक बीना आहार के खड़े होकर तपस्या किये केवल ज्ञान प्राप्त नहीं हुआ | केवल ज्ञान अंतर्मुहूर्त में तो होता है किन्तु अन्तरज्ञान के बीना नहीं होता | युग के आदि में काम देव हुए और वर्तमान के 24 तीर्थंकरों से पहले सर्वप्रथम मोक्षमार्ग में मुक्ति मिली | भगवान आदिनाथ से भी पहले और 63 शलाखा महापुरुषों में बाहुबली को मुक्ति सबसे पहले प्राप्त हुई | भगवान से प्रार्थना करता हूँ की यह मोक्ष मार्ग में मुक्ति मिले | मान कभी सीखना नहीं सिखाता | वह अपने आप को मजबूत बनाना चाहता है | जब तक नतमस्तक नहीं होगे तब तक बाहुबली को भी नमोस्तु नहीं कर पाते और तब तक मुक्ति रमा नहीं मिलेगी | हम उनका उपकार, उपदेश का अनुकरण करके ही मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं अन्यथा उसको कभी पूर्ण नहीं कर पायेंगे | उनके उपकार को चुकाना चाहते हो तो मान को समाप्त करो |
आज आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य ब्रह्मचारिणी नीतू दीदी धनौरा निवासी  परिवार को प्राप्त हुआ | जिसके लिये चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन, कार्यकारी अध्यक्ष  विनोद बडजात्या, कोषाध्यक्ष  सुभाष चन्द जैन,निर्मल जैन (महामंत्री), चंद्रकांत जैन (मंत्री ) ,मनोज जैन (ट्रस्टी), सिंघई निखिल जैन (ट्रस्टी),सिंघई निशांत जैन (ट्रस्टी), प्रतिभास्थली के अध्यक्ष  प्रकाश जैन (पप्पू भैया),  सप्रेम जैन (संयुक्त मंत्रीने बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी| श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद से अतिशय तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरी मंदिर निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है और यहाँ प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में कक्षा चौथी से बारहवीं तक CBSE पाठ्यक्रम में विद्यालय संचालित है और इस वर्ष से कक्षा एक से पांचवी तक डे स्कूल भी संचालित हो चुका है यहाँ गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है जिसका शुद्ध और सात्विक दूध और घी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहता है |यहाँ हथकरघा का संचालन भी वृहद रूप से किया जा रहा है जिससे जरुरत मंद लोगो को रोजगार मिल रहा है और यहाँ बनने वाले वस्त्रों की डिमांड दिन ब दिन बढती जा रही है |यहाँ वस्त्रों को पूर्ण रूप से अहिंसक पद्धति से बनाया जाता है जिसका वैज्ञानिक दृष्टि से उपयोग कर्त्ता को बहुत लाभ होता है|आचर्य श्री के दर्शन के लिए दूर  दूर से उनके भक्त आ रहे है उनके रुकनेभोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है कृपया आने के पूर्व इसकी जानकारी कार्यालय में देवे जिससे सभी भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था कराइ जा सके |उक्त जानकारी चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के ट्रस्टी सिंघई निशांत जैन (निशु)ने दी है |

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