नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने स्त्रीधन (विवाह के समय मिले गहने और अन्य सामान) को लेकर शुक्रवार को बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ‘स्त्रीधन’ पर पति या उसके ससुराल पक्ष का कोई हक नहीं होता है। यह महिला की संपत्ति है। इसपर सिर्फ उसकी मर्जी ही चलेगी। विवाहित जोड़े की संपत्ति से जुड़े एक मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। 10 साल से अधिक पुराने इस मुकदमे में अपने हक की लड़ाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची महिला के मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjeev Khanna) और जस्टिस दीपांकर दत्ता (Justice Dipankar Dutta) की पीठ में हुई।
अदालत ने कहा कि संकट के समय पति पत्नी के स्त्रीधन का इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन संपत्ति लौटाना उसका नैतिक दायित्व है। अदालत ने एक महिला के खोए हुए सोने के बदले 25 लाख रुपये लौटाने का निर्देश देते हुए अपने फैसले में यह अहम बात कही।
इसी के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) के 5 अप्रैल, 2022 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें तलाक मंजूर करते हुए पति और सास से सोने के मूल्य के रूप में 89 हजार रुपये वसूलने के फैमिली कोर्ट के 2011 के आदेश को रद्द कर दिया था।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने स्त्रीधन को लेकर दायर एक वैवाहिक विवाद पर सुनवाई करते हुए कहा था कि महिला को अपने स्त्रीधन पर पूरा अधिकार है, जिसमें शादी से पहले, शादी के दौरान या बाद में मिलीं हुईं सभी चीजें शामिल हैं। जैसे कि माता-पिता, ससुराल वालों, रिश्तेदारों और दोस्तों से मिले गिफ्ट, धन, गहने, जमीन और बर्तन आदि।
क्या होता है स्त्रीधन?
ऐसे में ये समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर स्त्रीधन क्या है और इसके दायरे में क्या-क्या आता है? दरअसल स्त्रीधन एक कानूनी टर्म है, जिसका जिक्र हिंदू धर्म में देखने को मिलता है। स्त्रीधन का अर्थ है महिला के हक का धन, संपत्ति, कागजात और अन्य वस्तुएं. एक आम धारणा ये है कि महिलाओं को शादी के दौरान जो चीजें उपहारस्वरूप मिलती हैं, उन्हें ही स्त्रीधन माना जाता है. लेकिन ऐसा नहीं है। स्त्रीधन में किसी महिला को बचपन से लेकर भी जो चीजें मिलती हैं, वह भी स्त्रीधन के दायरे में आती हैं। इनमें नकदी से लेकर सोना, हर तरह के तोहफे, संपत्तियां और बचत भी शामिल है। आसान शब्दों में कहें तो जरूरी नहीं है कि शादी के दौरान या शादी के बाद मिले इस तरह के उपहारों को ही स्त्रीधन माना जाए। स्त्रीधन पर अविवाहित स्त्री का भी कानूनी अधिकार है। इसमें वे सारी चीजें आती हैं, जो किसी महिला को बचपन से लेकर मिलती रही हों। इसमें छोटे-मोटे तोहफे, सोना, कैश, सेविंग्स से लेकर तोहफे में मिली प्रॉपर्टी भी आती है।
दहेज से कितना अलग है स्त्रीधन?
स्त्रीधन और दहेज दो अलग-अलग चीजें हैं. दहेज मांगस्वरूप दिया या लिया जाता है जबकि स्त्रीधन में प्रेमस्वरूप चीजें महिला को दी जाती हैं। अगर स्त्रीधन को ससुराल पक्ष ने जबरन अपने कब्जे में रखा है तो महिला इसके लिए क्लेम कर सकती है। अगर पति के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस लगा है, तो उसके साथ में स्त्रीधन को लेकर अलग से केस दर्ज कराया जा सकता है।