हर साल लोगों को अपनी आय पर टैक्स देना होता है. अगर इनकम टैक्सेबल है तो इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरना काफी जरूरी हो जाता है. वहीं 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए 2.5 लाख से ज्यादा सालाना की आय होने पर आईटीआर (ITR) दाखिल करना काफी जरूरी हो जाता है. वहीं दूसरी तरफ इनकम टैक्स भरते वक्त कुछ बातों का भी ध्यान रखना होता है. अगर इन बातों को इग्नोर किया जाए तो काफी नुकसान भी झेलना पड़ सकता है.
इस साल वर्ष 2021-22 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return Filling Last Date 2022) भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई, 2022 है. यह तारीख व्यक्तिगत आयकरदाताओं के लिए लागू है. वहीं टैक्स भरने के दौरान कुछ बातों का भी ध्यान रखना जरूरी है. अगर कुछ अहम बातों का ध्यान नहीं रखा जाएगा तो जुर्माना भी देना पड़ सकता है.
इन बातों का रखें ध्यान:
रिटर्न भरने की आखिरी तारीख (Income Tax Return Last Date)
अगर आप व्यक्तिगत आयकरदाताओं की कैटेगरी में आते हैं तो इस साल 31 जुलाई 2022 तक अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल कर दें. अगर इस तारीख के बाद इनकम टैक्स भरा जाता है तो जुर्माना लग सकता है.
फॉर्म 26AS
इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) की ओर से फॉर्म 26AS जारी किया जाता है. इस फॉर्म की मदद से शख्स की इनकम, उम्र, TDS, एडवांस टैक्स पेड, सेल्फ असेसमेंट टैक्स पेड आदि की जानकारी होती है. इसकी मदद से सैलरी पाने वाले लोग फॉर्म 16 से अपनी इनकम मिला सकते हैं. फॉर्म 26AS से सभी जानकारियों को मिलाने के बाद गलती की संभावना कम हो जाती है.
इंवेस्टमेंट के दस्तावेज
इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते वक्त निवेशकों को कुछ छूट भी दी जाती है. अगर आयकरदाता की ओर से कोई छूट क्लेम की जाती है तो उससे जुड़े दस्तावेज खुद के पास संभाल कर रखें. साथ ही आईटीआर में दिखाए गए इंवेस्टमेंट से जुड़े सारे दस्तावेज भी अपने पास रखें. अगर इन दस्तावेजों में कमी पाई जाती है और इंवेस्टमेंट आईटीआर दाखिल करते वक्त दर्शाना रह जाता है तो उस छूट का फायदा नहीं उठा पाएंगे.
बैंकिंग लेनदेन
आपको अपने बैंकिंग लेनदेन की जानकारी भी आईटीआर में बतानी होती है. ऐसे में अगर आपने 10 लाख रुपये से ज्यादा की एफडी करवाई है तो उसकी जानकारी भी आईटीआर में देनी होगी. साथ ही बैंक से जुड़ी अधूरी डिटेल न दें. ऐसे में बैंक अकाउंट में रिफंड आने में दिक्कत हो सकती है.
प्रॉपर्टी की सही जानकारी
आईटीआर भरते वक्त अपनी प्रॉपर्टी से जुड़ी जानकारी न छुपाएं. प्रॉपर्टी टैक्सेबल है तो उसकी जानकारी आईटीआर में जरूरी देनी चाहिए, नहीं तो आगे चलकर दिक्कतों का सामना भी करना पड़ सकता है.