डिजिटल डेस्क। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस पर लगाए गए नए प्रतिबंधों को लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आलोचना को पूरी तरह खारिज कर दिया है।
ट्रंप ने कहा कि रूस चाहे जो भी कहे, लेकिन इन प्रतिबंधों का वास्तविक असर आने वाले छह महीनों में नजर आएगा। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा – ‘मुझे खुशी है कि पुतिन ऐसा सोचते हैं, लेकिन देखते हैं आगे क्या होता है।’
दरअसल, अमेरिका ने रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट (Rosneft) और लुकोइल (Lukoil) पर बैन लगा दिया है। पुतिन ने इन प्रतिबंधों को अप्रभावी बताते हुए कहा था कि इससे रूस की अर्थव्यवस्था पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा।
वहीं, ट्रंप ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह कदम आवश्यक था और रूस-यूक्रेन के बीच शांति प्रक्रिया में हो रही देरी के चलते उठाया गया है।
दबाव में कोई देश निर्णय नहीं लेता
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इन बैन को ‘अनफ्रेंडली एक्शन’ करार दिया और कहा कि ‘कोई भी आत्मसम्मान रखने वाला देश दबाव में निर्णय नहीं लेता।’ उन्होंने कहा कि अमेरिका का यह कदम रूस पर दबाव बनाने की कोशिश है, जो सफल नहीं होगी।
अमेरिका की नाराजगी
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोनिल लेविट ने कहा कि ये प्रतिबंध ‘सही और जरूरी’ हैं। उन्होंने बताया कि यह कदम रूस-यूक्रेन शांति समझौते की धीमी गति पर अमेरिका की नाराजगी को दर्शाता है।
भारत पर क्या होगा असर?
अमेरिका के इन नए प्रतिबंधों से भारत पर भी असर पड़ सकता है। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का लगभग 87% तेल आयात करता है और इसका बड़ा हिस्सा रूस से आता है – खासकर रोसनेफ्ट और लुकोइल जैसी कंपनियों से। अब इन पर लगे बैन के बाद भारतीय तेल कंपनियों के लिए रूसी तेल खरीदना मुश्किल हो सकता है।
इसके साथ ही, वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें पहले ही लगभग 5% बढ़ चुकी हैं, जिससे भारत के आयात बिल में इजाफा हो सकता है और महंगाई पर असर पड़ सकता है।
साल 2022 से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए ताजा बैन को अब तक के सबसे सख्त कदमों में से एक माना जा रहा है।

