वाशिंगटन। कोविड के बाद जब तमाम देशों की अर्थव्यवस्था की हालत खराब हो, तब भारत आर्थिक उन्नति के मामले में दुनिया का सिरमौर बना हुआ है. इस बात की गवाही कोई और नहीं बल्कि खुद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) दे रहे हैं, जिनके एक अधिकारी अधिकारी ने कहा है कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है. यही नहीं देश के वृहद आर्थिक बुनियादी तत्व अच्छे हैं.
आईएमएफ एशिया प्रशांत विभाग के निदेशक कृष्ण श्रीनिवासन ने एक साक्षात्कार में कहा. “भारत को दुनिया की सबसे बड़ी बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ बताया जा रहा है. हम वित्त वर्ष 24-25 में सात प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाते हैं, जिसे ग्रामीण खपत में सुधार से समर्थन मिलेगा, क्योंकि फसलें अनुकूल रही हैं. खाद्य कीमतों के सामान्य होने के कारण कुछ उतार-चढ़ाव के बावजूद वित्त वर्ष 24-25 में मुद्रास्फीति घटकर 4.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है,”
उन्होंने कहा, “चुनावों के बावजूद, राजकोषीय समेकन पटरी पर बना हुआ है. रिजर्व स्थिति काफी अच्छी है. भारत के लिए वृहद बुनियादी तत्व, आम तौर पर अच्छे हैं.” उन्होंने सुझाव दिया कि चुनाव के बाद देश की सुधार प्राथमिकताओं को तीन क्षेत्रों में होना चाहिए.
उन्होंने कहा. “भारत में रोजगार सृजन का एक मुद्दा है, और इस संदर्भ में मुझे लगता है कि 2019-2020 में स्वीकृत श्रम कानूनों को लागू करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करते हुए श्रम बाजारों को लचीला बनाने की अनुमति देंगे.”
उन्होंने कहा. “दूसरी बात यह है कि यदि आप प्रतिस्पर्धी बनना चाहते हैं, तो आपको अपने पास मौजूद कुछ व्यापार प्रतिबंधों को भी हटाना होगा. क्योंकि जब आप व्यापार को उदार बनाते हैं, तो आप उत्पादक फर्मों को जीवित रहने की अनुमति देते हैं. यह अपने आप में अधिक प्रतिस्पर्धा होती है, और रोजगार पैदा कर सकती है. मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि अधिक व्यापार प्रतिबंध हटाए जाएं,”
उन्होंने कहा. “और अंत में मैं कहूंगा कि बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सुधारों को जारी रखें, चाहे वह भौतिक बुनियादी ढांचा हो या डिजिटल बुनियादी ढांचा. यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. मैं कहूंगा कि आपको कृषि और भूमि सुधारों पर ध्यान केंद्रित करना होगा. आपको शिक्षा और कौशल को मजबूत करने के लिए भी सोचना होगा.”