नई दिल्ली. भारत और अमेरिका ने रक्षा उद्योगों के क्षेत्र में संबंध और मजबूत कर अपनी वैश्विक रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करने, हिंद-प्रशांत में भागीदारी बढ़ाने और महत्वपूर्ण खनिजों एवं उच्च-प्रौद्योगिकी जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए शुक्रवार को व्यापक विचार-विमर्श किया.
‘टू प्लस टू’ मंत्रिस्तरीय वार्ता में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने किया. भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया.
विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों देशों के बीच हुई बातचीत के बारे में बताया गया. विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा, “अंतरिक्ष में सहयोग भारत और अमेरिका की साझेदारी का बड़ा हिस्सा है. नासा और इसरो एक साथ चर्चा कर रहे हैं ताकि इस सहयोग को और बढ़ाया जा सके.” उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा हुई है.
क्वात्रा ने कहा, “बांग्लादेश के मुद्दे पर हमने अपना रुख साफ़ किया कि ये हमारा क्षेत्र नहीं है कि हम उनके घरेलू मामलों पर टिप्पणी करें. चुनाव वहां का आतंरिक मामला है.” इसके साथ ही उन्होंने यह साफ किया कि भारत मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत नीति का समर्थन करता है.
इससे पहले, जयशंकर ने टेलीविजन पर प्रसारित अपनी टिप्पणी में कहा, ‘आज की हमारी बातचीत एक भविष्योन्मुखी साझेदारी और एक साझा वैश्विक एजेंडा बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने का अवसर होगी.’ उन्होंने कहा, ‘हम अहम प्रौद्योगिकियों, असैन्य बाह्य अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे नए क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाएं तलाश रहे हैं.’
ब्लिंकन ने अपने बयान में कहा कि दोनों पक्ष ‘क्वाड’ (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) के माध्यम से भारत और अमेरिका की साझेदारी को मजबूत करके समृद्ध, सुरक्षित और लचीले हिंद-प्रशांत को बढ़ावा दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि दोनों देशों का ध्यान अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के क्षेत्र में साझेदारी को मजबूत करने और विशेष रूप से नियम-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता एवं स्वतंत्रता के सिद्धांतों को बनाए रखने पर केंद्रित है.
सिंह ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय रणनीतिक एवं रक्षा सहयोग बढ़ा है. उन्होंने कहा, “रक्षा सहयोग हमारे द्विपक्षीय संबंधों के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है.” सिंह ने कहा, “हम क्षमता निर्माण के क्षेत्रों में अमेरिका के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हैं.”
अमेरिकी रक्षा मंत्री ऑस्टिन ने कहा कि तत्काल चुनौतियों के मद्देनजर यह पहले से भी कहीं अधिक महत्वपूर्ण है कि दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रिक देश विचारों का आदान-प्रदान करें, साझा लक्ष्य तलाशें और “हमारे लोगों के लिए काम करें.” उन्होंने कहा, “लगातार मजबूत होते हमारे संबंध इस साझेदारी के भविष्य और अधिक सुरक्षित दुनिया की दिशा में हमारे साझा प्रयासों को लेकर पूरी उम्मीद जगाते हैं.”