नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को लोकसभा में चीन के बारे में बोले। उन्होंने कहा कि मैं सदन को भारत-चीन सीमा क्षेत्र में हाल के कुछ घटनाक्रमों और हमारे पूरे द्विपक्षीय संबंधों पर उनके प्रभावों से अवगत कराना चाहता हूं। सदन को पता है कि 2020 से हमारे संबंध असामान्य रहे हैं। चीनी की गतिविधियों की वजह से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द भंग हुआ। उन्होंने कहा कि चीन से सीमा मुद्दे पर बातचीत की गई। यह बताया गया कि सीमा पर शांति होने परही रिश्ते सुधरेंगे। कूटनीतिक रास्ते से मामले का हल निकला। अब एलएसी पर हालात सामान्य हैं। पूर्वी लद्दाख में पूरी तरह से डिसइंगजेमेंट हो चुका है।
विदेश मंत्री ने कहा कि हाल के घटनाक्रम हमारे निरंतर कूटनीतिक जुड़ाव को दर्शाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सदन इस तथ्य से अवगत है कि 1962 के युद्ध और उससे पहले की घटना के परिणामस्वरूप चीन अक्साई चिन में 38,000 वर्ग किमी भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर रखा है। उधर, पाकिस्तान ने 1963 में अवैध रूप से 5,180 वर्ग किमी भारतीय क्षेत्र चीन को सौंप दिया था।
भारत और चीन ने सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए कई दशकों तक बातचीत की। सीमा विवाद के समाधान के लिए निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य रूपरेखा पर पहुंचने के लिए द्विपक्षीय चर्चा की गई। सदस्यों को याद होगा कि अप्रैल-मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन ने बड़ी संख्या में सैनिकों को एकत्र किया। इस वजह से कई जगहों पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने भी आ गईं। इस स्थिति के कारण गश्ती गतिविधियों में भी बाधा उत्पन्न हुई। यह हमारे सशस्त्र बलों के लिए श्रेय की बात है कि रसद संबंधी चुनौतियों और तत्कालीन कोविड स्थिति के बावजूद वे तेजी से और प्रभावी ढंग से जवाबी तैनाती करने में सक्षम थे।