इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (IJR) ने देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति स्पष्ट की है. इसमें 18 बड़े राज्य और केंद्र शासित छोटे राज्यों का आंकलन किया गया है, जिसमें पुलिस व्यवस्था, जेल, न्यायपालिका और कानूनी सहायता को आधार बनाया गयाहै. हिंसा की वजह से एक बार फिर चर्चा में आए पश्चिम बंगाल की स्थिति सबसे बदतर है, तो वहीं छत्तीसगढ़ ओवरऑल रैंकिंग में 6वां स्थान हासिल किया है.
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 के मुताबिक, पुलिस व्यवस्था में छत्तीसगढ़ चौथे, जेल में 13वें, न्यायपालिका में 8वें और कानूनी सहायता में 7वें स्थान पर है. प्रदेश में जेल व्यवस्था और न्यायपालिका की स्थिति ज्यादा खराब है. एक ओर न्यायालयों में जजों की कमी है. तो वहीं जेलों में कैदियों की भीड़ है.
अदालतों में लंबे समय से अटके प्रकरण
2025 तक, उच्च न्यायालयों में 27% से लेकर जिला न्यायाधीशों के बीच 30% तक रिक्तियां हैं. उच्च न्यायालय में लगभग हर तीन में से एक मामला (32%) 2024 में 5-10 वर्षों से लंबित था. 2022 में यह हिस्सेदारी 27% थी. जिला न्यायालय में 10% मामले 5-10 वर्षों से लंबित रहे.
राज्य के लगभग आधे जिला न्यायालय के न्यायाधीश महिलाएं हैं, लेकिन 2025 में उच्च न्यायालय में उनकी संख्या केवल 6% है. छत्तीसगढ़ ने 8% के साथ देश में पुलिस में महिलाओं की सबसे कम हिस्सेदारी में से एक दर्ज की.
छत्तीसगढ़ में जजों की स्थिति और वैकेंसी
छत्तीसगढ़ SC और ST के लिए अपने कोटे को भरने मेंं असफल रहा है, जबकि OBC के लिए आरक्षित सीटों को भरने में कुछ हद तक बेहतर प्रदर्शन रहा. छत्तीसगढ़ में 2022-25 तक जाति के अनुसार ST-SC और OBC जजों की संख्या में कमी आई है. 2022 में तीनों कटेगरी के जजों की बेहतर स्थिति थी, लेकिन IJR की रैंकिंग में छत्तीसगढ़ में कमी रिकॉर्ड की गई है.
न्यायपालिका में छत्तीसगढ़ की स्थिति खराब
पिछले तीन सालों में केवल 11 बड़े और मध्यम आकार के राज्य ही अधीनस्थ न्यायालयों में रिक्तियों को भरने या बनाए रखने में कामयाब रहे हैं. इसके विपरीत, छत्तीसगढ़, झारखंड और पश्चिम बंगाल में इसी अवधि के दौरान रिक्तियों की संख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई है, जबकि मुकदमों का बोझ लगातार बढ़ रहा है.
छत्तीसगढ़ में हालात का जायजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2022 में 8.9 परसेंट था, जो अब 2025 में बढ़कर 29.9 हो गई है. जजों की भर्ती नहीं हो रही है, जिससे जजों पर केसों का बोझ चढ़ता जा रहा है. पेंडिंग में चढ़ते जा रहे हैं. खराब स्थिति में गुजरात और सेकेंड पर छत्तीसगढ़ है.
जेलों में क्षमता से 45 प्रतिशत ज्यादा कैदी
छत्तीसगढ़ की जेलें अपनी क्षमता से 45% से अधिक भरी हुई हैं. 36% के उच्च समग्र कर्मचारी की कमी के साथ चल रही हैं. जेल कर्मचारियों के भीतर, जेल अधिकारियों में रिक्तियां सबसे अधिक 66% हैं, जो देश में सबसे अधिक में से एक है. इसके चिकित्सा कर्मचारियों, डॉक्टरों और सुधारात्मक कर्मचारियों में 50% से अधिक की कमी थी और तीन में से एक गार्डिंग स्टाफ भी गायब था.
10 साल में 14 हजार 143 कैदी बढ़े
10 साल में छत्तीसगढ़ की जेलों की कुल क्षमता में 141% की बढ़ोतरी हुई है. 5 हजार 850 कैदियों से बढ़कर 14 हजार 143 कैदियों की बढ़ोतरी हुई है. छत्तीसगढ़ में 1-3 साल से ज्यादा समय तक रहने वाले विचाराधीन कैदियों की बात करें तो इनकी संख्या 26.0 प्रतिशत है.