India Inflation April 2024: अप्रैल महीने में थोक महंगाई दर बढ़कर 1.26 फीसदी हो गई है. यह 13 महीनों में मुद्रास्फीति का उच्चतम स्तर है. इससे पहले मार्च 2023 में थोक महंगाई दर 1.34% थी. खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ने से महंगाई बढ़ी है. जबकि इससे एक महीने पहले मार्च 2024 में यह 0.53% थी. जबकि थोक महंगाई दर फरवरी में 0.20% और जनवरी में 0.27% थी.
अप्रैल में खाद्य महंगाई दर बढ़ी
मार्च की तुलना में खाद्य मुद्रास्फीति 4.65% से बढ़कर 5.52% हो गई.
दैनिक जरूरतों की वस्तुओं की महंगाई दर 4.51% से बढ़कर 5.01% हो गई है.
ईंधन और बिजली की थोक महंगाई दर -0.77% से बढ़कर 1.38% हो गई.
मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर -0.85% से बढ़कर -0.42% हो गई है.
खुदरा महंगाई दर में गिरावट
इससे पहले अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 11 महीने में सबसे कम थी. अप्रैल में यह घटकर 4.83% पर आ गई है. जून 2023 में यह 4.81% थी. हालांकि, अप्रैल में खाने-पीने की चीजें महंगी हो गई हैं. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने सोमवार 14 मई को ये आंकड़े जारी किये थे.
जबकि एक महीने पहले यानी मार्च 2024 में महंगाई दर 4.85% थी. खाद्य महंगाई दर 8.52% से बढ़कर 8.78% हो गई है. ग्रामीण महंगाई दर 5.45% से घटकर 5.43% और शहरी महंगाई दर 4.14% से घटकर 4.11% हो गई है.
आम आदमी पर WPI का प्रभाव
थोक मुद्रास्फीति में लंबे समय तक वृद्धि का अधिकांश उत्पादक क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. यदि थोक कीमतें बहुत लंबे समय तक ऊंची रहती हैं, तो उत्पादक इसका बोझ उपभोक्ताओं पर डाल देते हैं. सरकार टैक्स के जरिए ही WPI पर नियंत्रण कर सकती है.
उदाहरण के लिए, कच्चे तेल में तेज वृद्धि की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर उत्पाद शुल्क कम कर दिया था. हालांकि, सरकार टैक्स कटौती को एक निश्चित सीमा तक ही कम कर सकती है. WPI में मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामान को ज्यादा वेटेज दिया जाता है.