इस्राइल की खुफिया एजेंसी ने 18 महीने के अंदर परमाणु संयंत्र पर तीन हमले करवाए। इस पूरे ऑपरेशन को इतनी चालाकी से अंजाम दिया गया कि किसी को कानोंकान खबर तक नहीं हुई।
दुनिया की सबसे खतरनाक खुफिया एजेंसियों में एक इस्राइल की मोसाद ने इसी साल ईरान में एक खुफिया मिशन को अंजाम दिया था। इस मिशन के तहत उसने अप्रैल में ईरान के एक परमाणु संयंत्र को उड़ा दिया था। जिस परमाणु संयत्र पर हमला किया गया था वह ईरान का सबसे सुरक्षित परमाणु संयंत्र कहा जाता है, लेकिन इस्राइल के जासूसों ने इतनी चालाकी से इसे अंजाम दिया कि इसकी भनक भी वहां की सुरक्षा एजेंसी को नहीं लगी।
ईरान के ही शीर्ष वैज्ञानिकों से मिशन को करवाया पूरा
एक मीडिया रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है कि मोसाद ने इतनी चालाकी से काम किया कि किसी को भी उस पर शक नहीं हो सका। इस्राइली जासूसों ने इसके लिए ईरान के ही दस वैज्ञानिकों को मोसाद में भर्ती किया था, उन्हें भरोसा दिलाया गया था कि हम सब एक गुप्त अभियान चला कर अंतरराष्ट्रीय असंतुष्ट समूहों के लिए काम कर रहे हैं। इस मिशन का एक हिस्सा ईरान के नटांज परमाणु संयंत्र को उड़ाना भी था। मोसाद के इस हमले में ईरान का नटांज परमाणु संयंत्र लगभग 90 प्रतिशत तक तबाह हो गया था, जिससे उसकी परमाणु परियोजना को और पीछे धकेल दिया। धमाके के बाद परमाणु संयंत्र को करीब नौ महीने के लिए बंद कर दिया गया।
ड्रोन से पहुंचाए गए विस्फोटक
परमाणु संयंत्र पर इस तरह के बड़े हमले के लिए मोसाद ने ड्रोन से विस्फोटक पहुंचाए थे। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ड्रोन से बड़े बॉक्सों में बड़े ही सुरक्षित तरह से विस्फोटकों को परमाणु संयंत्र में लाया गया था। इतना ही नहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2019 में परमाणु संयंत्र निर्माण कार्य में लगने वाले सामान के जरिए भी विस्फोटकों को परिसर के अंदर लाया गया था। जिन वैज्ञानिकों को मोसाद ने भर्ती किया था, उनकी यह जिम्मेदार भी कि वे विस्फोटकों को सुरक्षित ठिकाने पर पहुंचा दें। रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी वैज्ञानिक आज सुरक्षित हैं।
18 महीने में तीन ऑपरेशनों को दिया अंजाम
इस्राइल ने नटांज परमाणु संयंत्र को तबाह करने के लिए 18 महीनों तक योजना बनाई। इस योजना के तहत तीन हमले किए गए। पहला हमला जुलाई 2020 में किया गया था। इसके लिए भी इस्राइल को ही जिम्मेदार ठहराया गया था। इसके बाद अप्रैल 2021 में दूसरा तो जून 2021 में तीसरा हमला हुआ। इस्राइल ने इस खुफिया ऑपरेशन को पूरा करने के लिए करीब 1000 से ज्यादा तकनीकि विशेषज्ञों, जासूसों और एजेंटों को जमीन पर उतारा था।