India has Capability to Travel to Moon, Mars and Venus: इसरो (ISRO) के चीफ एस सोमनाथ (S Somanath) ने कहा कि ‘भारत के पास चंद्रमा, मंगल और शुक्र की यात्रा करने की क्षमता है लेकिन हमें अपना आत्मविश्वास बढ़ाने की जरूरत है. हमें और अधिक निवेश की जरूरत है. अंतरिक्ष क्षेत्र का विकास होना चाहिए और इससे पूरे देश का विकास होना चाहिए, यही हमारा मिशन है. हम उस विजन को पूरा करने के लिए तैयार हैं जो पीएम नरेंद्र मोदी ने हमें दिया था.’ चंद्रयान-3 के बारे में इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि सब कुछ बहुत अच्छे से काम कर रहा है.
इसरो के चीफ सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) लैंडर और रोवर बहुत सही हालत में हैं और उन पर मौजूद सभी पांच उपकरणों को चालू कर दिया गया है. यह अब सुंदर डेटा भेज रहा है. इसरो चीफ ने उम्मीद जताई कि लाइफ खत्म होने से कई दिन पहले ही मिशन मून अपने सभी प्रयोग पूरे कर लेगा. उन्होंने कहा कि ‘हम उम्मीद कर रहे हैं कि 3 सितंबर से पहले ही 10 दिनों में हमको सभी प्रयोगों को विभिन्न मोड की पूरी क्षमता के साथ पूरा करने में सक्षम होना चाहिए. कई अलग-अलग मोड हैं, जिनके लिए इसका परीक्षण किया जाना है… इसलिए हमारे पास चंद्रमा की अब तक की सबसे अच्छी तस्वीर है.’
पीएम ने रखे भारतीय नाम
चंद्रयान-3 के टचडाउन पॉइंट को ‘शिव शक्ति’ कहे जाने पर इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा कि ‘पीएम ने इसका अर्थ उस तरीके से बताया जो हम सभी के लिए उपयुक्त है. मुझे लगता है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है. साथ ही उन्होंने इसका मतलब भी बताया. इसके आगे तिरंगा का नाम है और ये दोनों भारतीय नाम हैं. देखिए, हम जो कर रहे हैं उसका एक महत्व होना चाहिए और देश के प्रधानमंत्री होने के नाते नाम रखने का उनका विशेषाधिकार है.’
इसरो चीफ सोमनाथ ने भद्रकाली मंदिर में पूजा की
इससे पहले इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने केरल के तिरुवनंतपुरम के भद्रकाली मंदिर में पूजा की. भद्रकाली मंदिर की अपनी यात्रा पर इसरो के चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि ‘मैं एक खोजकर्ता हूं. मैं चंद्रमा पर खोज करता हूं. मैं आंतरिक स्व का भी पता लगाता हूं. इसलिए विज्ञान और आध्यात्मिकता दोनों का पता लगाने के लिए यह मेरे जीवन की यात्रा का एक हिस्सा है. मैं कई मंदिरों में जाता हूं और मैंने कई धर्मग्रंथ पढ़े हैं. हम ब्रह्मांड में अपने अस्तित्व और अपनी यात्रा का अर्थ खोजने की कोशिश करें. यह हमारी संस्कृति का एक हिस्सा है, हम सभी बाहरी ब्रह्मांड के साथ आंतरिक स्व की खोज करने के लिए बनाए गए हैं. इसलिए बाहरी दुनिया की खोज के लिए मैं विज्ञान के क्षेत्र में काम करता हूं, वहीं आंतरिक स्व की खोज के लिए मैं मंदिरों में आता हूं.’