दरभंगा : बाबरी मस्जिद के गुंबद पर चढ़कर तोड़ने के बाद सात दिसंबर 1992 को उन्होंने संकल्प लिया था कि मंदिर निर्माण होने तक वो सिर्फ फलहार कर रहेंगे। जिस दिन मंदिर का निर्माण होगा और राम लला विराजमान होंगे, उस दिन अन्न ग्रहण करेंगे। बाबा अब तक चुपचाप गुमनामी में छोटी सी पान दुकान चलाकर अपना जीवन यापन कर रहे है। यहां तक कि उन्होंने शादी तक नहीं की, बस उन्होंने अपना जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया।
बता दें कि दरभंगा जिला के बहादुरपुर प्रखंड के खैरा गांव के रहने वाले वीरेंद्र कुमार बैठा उर्फ झमेली बाबा बचपन से ही स्वयं सेवक रहे। विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर दरभंगा से लगभग ढाई सौ कारसेवक के साथ अयोध्या के लिए निकले थे। अयोध्या पहुंचने पर विश्व हिंदू परिषद के बिहार प्रांत के अध्यक्ष महादेव प्रसाद जायसवाल, बेलागंज के अशोक साह, गजेंद्र चौधरी, गुदरी बाजार के शंभू साह किसी तरह से परिसर में प्रवेश कर गए।
शिव सैनिक भी जुटे थे
इस बीच परिसर के बाहर एक लोहे का पाइप मिला। जिसके सहारे विवादित ढांचे को गिराने में जुट गए। सैकड़ों की संख्या में शिव सैनिक भी जुटे थे, जैसे ही गुंबद गिरा और ढांचा धराशायी हो गया। सभी राम भक्त निशानी के रूप में ईंट आदि लेकर वहां से रवाना हो गए। इस बीच सरयू नदी में स्नान पश्चात अयोध्या में भव्य रामलला मंदिर निर्माण हो, इस मनोकामना के साथ अन्न त्यागने का संकल्प लिया।
डाक से भेजी थी तस्वीर
इस दौरान उन्होंने पास के स्टूडियो में तस्वीर खिंचाई, जहां रुपये लेने के बाद स्टूडियो मालिक ने कहा कि नाम-पता लिखा दो, डाक से तस्वीर भेज देंगे। जो कुछ दिनों बाद डाक से प्राप्त हुआ, जिसे आज भी संभाल कर रखे हैं। बताया कि अयोध्या से आठ दिसंबर को अपने कुछ साथियों के साथ दरभंगा पहुंचें। हालांकि, यहां भी पुलिस उन लोगों को खोज रही थी। लहेरियासराय स्टेशन से रेलवे ट्रैक होते हुए बलभद्रपुर आरएसएस कार्यालय पहुंचे। इसके बाद उन लोगों की जान बची।