बिना PhD और NET परीक्षा के बन सकेंगे प्रोफेसर, जानें कैसे? यूजीसी ने बनाए नए नियम

 

Professor Of Practice: अब तक कॉलेज या किसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बनने के लिए नेट की परीक्षा या फिर किसी विषय में पीएचडी करना जरूरी होता था, लेकिन UGC (भारतीय अनुदान आयोग) प्रोफेसर भर्ती को लेकर नए नियम बनाने जा रही है. इन नियमों के तहत प्रोफेसर की भर्ती ऐसी किसी परीक्षा या डिग्री के बिना की जा सकेगी. कुछ दिन पहले हुई यूजीसी की बैठक में ये अहम फैसला लिया गया है. प्रोफेसर भर्ती के नए नियमों को लेकर जल्द नोटिफिकेशन जारी हो सकता है.

प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस

यूजीसी ने प्रोफेसर भर्ती को लेकर नए नियम बनाए हैं. औपचारिक पात्रता परीक्षा (NET- National Eligibility Test) या PhD जरूरी नहीं होगी. इस तरह की भर्ती को प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस (Professor Of Practice) नाम दिया गया है. इस तरह से 10 फीसदी प्रोफेसरों की भर्ती की जा सकेगी. पीओपी के जरिए असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती की जाएगी.

किन विषयों में होगी भर्ती

यूजीसी के नए नियमों के मुताबिक प्रोफेसर्स ऑफ प्रैक्टिस (पीओपी) के तहत विज्ञान, इंजीनियरिंग, मीडिया, साहित्य, उद्यमिता, सामाजिक विज्ञान, ललित कला, सशस्त्र बल और सिविल सेवा जैसे विषयों के प्रोफेसरों की भर्ती की जाएगी.

कौन होगा योग्य

प्रोफेसर्स ऑफ प्रैक्टिस (पीओपी) के पद के लिए ऐसे व्यक्ति योग्य होंगे जो कम से कम 15 साल तक कॉलेज में पढ़ा चुके हों. किसी विषय को अगर लंबे वक्त से पढ़ा रहे हैं और उसके मास्टर हैं, तो प्रोफेसर्स ऑफ प्रैक्टिस के लिए अप्लाई कर सकते हैं.

विदेशों से लिया गया है मॉडल

पीओपी (POP) का मॉडल पहले भी कई जगहों पर लागू हो चुका है. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी जैसी दुनिया की टॉप यूनिवर्सिटीज में प्रोफेसर्स ऑफ प्रैक्टिस (पीओपी) के तहत प्रोफेसर लाए जाते हैं. भारत में भी आईआईटी संस्थानों में पीओपी का मॉडल चलता है. आईआईटी दिल्ली, गुवाहाटी और मद्रास में इस तरह से प्रोफेसर की भर्ती की जाती है, लेकिन अब इंजीनियरिंग से इतर बांकि विषयों में भी पीओपी का मॉडल लागू होने जा रहा है.

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