नई मुश्किल में फंसे केजरीवाल? दिल्‍ली सीएम आवास की ‘मरम्मत’ के CAG ऑडिट का आदेश…

नई दिल्ली. भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक आवास के हालिया पुनर्निर्माण में कथित ‘अनियमितताओं और नियमों के उल्लंघनों’ की विशेष ऑडिट करेंगे. राज निवास के अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी.

दरअसल दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के दफ्तर ने 24 मई को केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक पत्र भेजा गया था, जिसमें कैग द्वारा विशेष ऑडिट कराने की सिफ़ारिश की गई थी. इस पत्र में कहा गया था कि ‘पहली नजर में ऐसा प्रतीत होता है कि मुख्यमंत्री आवास के पुनर्निर्माण के नाम पर कई सारे उल्लंघन और बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं बरती गई हैं.’

इसके बाद गृह मंत्रालय ने उपराज्यपाल सचिवालय द्वारा भेजी गई सिफारिश को कैग के पास भेज दिया. ऐसे में अब दिल्ली के सिविल लाइन्स में 6, फ्लैग स्टाफ रोड स्थित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक आवास से जुड़े मामले में CAG विशेष ऑडिट करेगी.

बीजेपी ने लगाए गंभीर आरोप
बता दें कि बीजेपी ने सीएम आवास के पुनर्निर्माण को लेकर आरोप लगाया था कि पीडब्ल्यूडी ने ‘बिना किसी मंजूरी के’ इस काम की लागत 7.62 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 33.20 करोड़ रुपये कर दी. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस मामले में आरोप लगाया था कि ‘सीएम केजरीवाल के बंगले के लिए खरीदे गए 8 पर्दों में से एक की कीमत 7.94 लाख रुपये से अधिक थी, जबकि इनमें से सबसे सस्ता पर्दा 3.57 लाख रुपये का था. बंगले के लिए 1.15 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का संगमरमर वियतनाम से लाया गया था, जबकि 4 करोड़ रुपये पूर्व-निर्मित लकड़ी की दीवारों पर खर्च किए गए थे.

बंगले विवाद पर आप की सफाई
बीजेपी के इन आरोपों पर पलटवार करते हुए आम आदमी पार्टी के राज्‍यसभा सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) ने कहा कि लोगों का ध्यान असल मुद्दों से भटकाने के लिए यह विवाद खड़ा किया गया है. वहीं पार्टी के एक अन्य सांसद राघव चड्ढा ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि मुख्यमंत्री आवास 75-80 साल पहले 1942 में बनाया गया था. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने ऑडिट के बाद इसके जीर्णोद्धार की सिफारिश की थी.

इस पूरे मामले पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली के मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी थी. जिस पर मुख्य सचिव ने रिपोर्ट का पहला हिस्सा 27 अप्रैल और फिर 12 मई को रिपोर्ट का दूसरा हिस्सा उपराज्यपाल सचिवालय को भेजा था.

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