जानिये कहां सबसे हटकर है जोत जंवारा विसर्जन की परंपरा?

राजनांदगांव। क्वांर नौरात्रि पर्व का आज नवमी तिथि को शहर जिले में जोत-जंवारों के विसर्जन के साथ समापन हो गया। यह बात अलग है कि कई स्थानों के ज्योति कलश और पार्थिव देवी प्रतिमायें कल दशहरे के रोज भी विसर्जित होंगे। आमतौर पर मंदिरों और घर-घरानों में स्थापित ज्योति कलश विसर्जन यात्रा के दौरान अविवाहित कन्यायें और विवाहित महिलायें अपने सिर पर रखकर चलतीं हैं, लेकिन खास बात यह भी है कुछ स्थान ऐसे हैं जहां विसर्जन यात्रा में पुरूष अपने सिर पर ज्योति घट रखकर चलते हैं।


प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर के मोहारा वार्ड में यह परंपरा है। वहां कुंवारे लड़के 27 साल से क्वांर नौरात्रि पर्व में ज्योति कलश अपने सिर पर रखकर विसर्जन यात्रा के लिये निकलते हैं। यह परंपरा वहां की श्रद्धा दुर्गा उत्सव समिति ने बनाई है।

29़-30 साल से दुर्गा स्थापना के शुरूआती 3 साल तक ही महिलायें ज्योति घट रखकर चलती थीं। उसके बाद 27 साल से विसर्जन समिति के निर्णय के बाद यह अनोखी परंपरा बन गई है जो चल ही रही है। वैसे मां भानेश्वरी शक्तिपीठ सिंघोला के भी ज्योति कलश पुरूष ही अपने सिर पर रखकर विसर्जन के लिये निकलते हैं, लेकिन कुंवारे ही यह करें ऐसी बाध्यता नहीं है।

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