राजनांदगांव। भारतीय मजदूर संघ इन दिनों अपने स्थापना का 70वीं वर्षगांठ मना रहा है। 23 जुलाई 1924 से प्रारंभ होकर 23 जुलाई 1925 तक चलने वाले इस अभियान में सालभर वृहद् कार्यक्रम आयोजित किये गये है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरूजी के वैचारिक कल्पना व निर्देश पर संघ के वरिष्ठ प्रचारक दंतोपत ठेंगड़ी ने गैर राजनीतिक श्रम संगठन की शुरूआत की थी। शून्य से सृष्टि तक के निर्माण में श्रम की महत्ता रही है, सभी कालखंडो में निर्माण की प्रक्रिया सतत् चलती रही है। इन कालखंडों में मालिक एवं मजदूर का आपस में संबंध था, उस समय भी राजा रजवाड़ों के द्वारा श्रमिकों को कार्य के बदले पारिश्रमिक दिया जाता था, मनुस्मृति, शुक्रनीति, भीष्मनीति, नारदनीति एवं विश्वकर्मा पुराण में श्रमनीति का विस्तार से वर्णन है। भारतीय मजदूर संघ इन्ही नीतियों के आधार पर ट्रेड यूनियन क्षेत्र में श्रमिकों के लिये निरंतर संघर्ष कर रहा है।
भारतीय मजदूर संघ के जिला मंत्री नरेश कुमार साहू ने एक प्रेस बयान में बताया कि भामसं के 70वें वर्ष पर श्रमिक संपर्क पखवाड़ा 1 दिसंबर से 15 दिसंबर के मध्य हो रहा है जिसमें संगठित व असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के बीच भारतीय मजदूर संघ के कार्यकर्ता जाकर संगठन की नीतियों, सिद्धांतो के संबंध में पत्रक वितरण करेंगे व श्रमिक क्षेत्र से संपर्क साधेगें, इस हेतु जिले के सभी विकासखंडों सहित मोहला-मानपुर सहित खैरागढ़ जिले के विकासखंडों में व्यापक श्रमिक संपर्क पखवाड़े का आयोजन किया जा रहा है। सभी विकास खंडों में 1 दिसंबर से कार्यकर्ता इस कार्य में लग जायेंगे।
स्मरणीय है कि भारतीय मजदूर संघ ने देश के श्रमिक आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्ष 1991 में डंकल प्रस्ताव, बहुराष्ट्रीय कंपनियों, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष आदि के खिलाफ जिला से लेकर पूरे देशभर में धरना प्रदर्शन कर मजदूरों में जन-जागरण किया था। वर्ष 1995 में जंतर-मंतर मैदान दिल्ली में भारतीय मजदूर संघ ने विशाल प्रदर्शन किया था, 16 अप्रैल 2001 में डब्ल्यू. टीओ. के विरोध में तोड़ो-मोड़ो और छोड़ों के नारे के साथ दिल्ली में भारतीय मजदूर संघ द्वारा विशाल जुलुस रामलीला मैदान से निकालकर संसद भवन पर प्रदर्शन किया था, जिसमें लाखों की संख्या में मजदूरों ने भाग लिया था। वर्ष 2008 में भारतीय मजदूर संघ की पहल पर असंगठित मजदूरों के लिये अनेक कल्याणकारी योजनाओं का कानून व नियम बनाया गया, जिसका लाभ आज देशभर के असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को प्राप्त हो रहा है।
श्री साहू ने आगे बताया कि भारतीय मजदूर संघ मजदूरों के केवल आर्थिक अधिकारों के लिये ही संघर्ष नहीं करता बल्कि राष्ट्रहित व सामाजिक हित मेें निरंतर गतिशील रहता है। मार्च 2020 में जब देशभर में कोविड की महामारी शुरू हुई तो जहॉ पूरे देश में त्राही-त्राही मची हुई थी, लोग इतने घबराये हुये थे कि बीमारी से अपने सगे-संबंधियों को देखने जाने से कतराने लगे थे, वही भारतीय मजदूर संघ के कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर जो अपने कार्य से लौटकर अपने घरों की ओर भूख-प्यास से तड़पते हुये आ रहे थे उनकी जगह-जगह कैंप लगाकर भोजन तथा चिकित्सा की व्यवस्था की इतना ही नहीं उन्हे उनके घरों तक पहुचाने का कार्य किया साथ ही साथ विभिन्न बस्तियों व ग्रामीण क्षेत्रों में दैनिक जीवन की सारी जरूरतें पूरी करने जॉन की परवाह किये बिना सेवा सहायता की । देश में जब युद्धकॉल की परिस्थितियॉ आई तो प्रतिरक्षा कारखानों में भारतीय मजदूर संघ के कार्यकर्ता ओव्हर टाईम बिना वेतन लिये कार्य किया यही कारण है कि भारतीय मजदूर संघ देश का सबसे बड़ा श्रमिक संगठन बना हुआ है।