रायपुर। पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार में हुए 2,500 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में आबकारी विभाग के अधिकारियों ने जमकर चांदी कूटी है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) की ओर से एक जुलाई को पेश आरोप पत्र के अनुसार 15 जिलों में पदस्थ रहे 20 अधिकारियों को प्रतिमाह 2.40 करोड़ की रिश्वत दी जाती थी, जो कि अब भी महत्वपूर्ण पदों पर बने हुए हैं। इस हिसाब से चार साल में 115 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई अफसरों ने की है।
आरोप पत्र में उल्लेख किया गया है कि 2,880 रुपये की एमआरपी पर बेची जाने वाली मदिरा का सिंडीकेट ने दाम बढ़ाकर 3,840 रुपये कर दिया। इसमें सप्लायरों को 560-600 रुपये प्रति पेटी के हिसाब से भुगतान किया जाता था।
नकली होलोग्राम वाली बोतलों की प्रत्येक पेटी से 150 रुपये का कमीशन इन्हीं 20 अफसरों को दिया जाता था। बाकी राशि अनवर ढेबर अपने पास रखता था और इसका 15% कमीशन अनिल टुटेजा और एपी त्रिपाठी को दिया जाता था। यह खेल 2019-20 में शुरू हुआ और 2022-23 तक चला। चार साल तक शासकीय खजाने को क्षति पहुंचाने के साथ ही पूरे सिंडीकेट की भी जेब गरम की गई थी।
एपी त्रिपाठी ने बनाया पूरा सिंडिकेट
ईओडब्ल्यू के आरोप पत्र में कहा गया है कि शराब घोटाले में उप्र की मेरठ जेल में बंद एपी त्रिपाठी द्वारा पूरा सिंडिकेट बनाया गया था, जिसने सभी 15 जिलों के आबकारी अधिकारियों की बैठक लेकर उन्हें पूरी व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी सौंपी। साथ ही इसमें आने वाली कठिनाइयों और इसके निदान के लिए भी मार्गदर्शन किया और सभी की हिस्सेदारी तय की गई।
15 जिलों में भेजी नकली होलोग्राम वाली शराब
ईओडब्ल्यू के आरोप पत्र में कहा गया है कि नकली होलोग्राम लगाकर शराब की सप्लाई के लिए 15 जिलों का चयन किया गया था। इसमें रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, राजनांदगांव, कबीरधाम, बालोद, महासमुंद, धमतरी, बलौदा बाजार, गरियाबंद, मुंगेली, जांजगीर-चांपा, कोरबा, बेमेतरा और रायगढ़ शामिल थे।