रायपुर। 2,100 करोड़ रुपए से ज्यादा के शराब घोटाला मामले में रायपुर जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने पैसा लेने के आरोपों को खारिज किया है। लखमा ईओडब्ल्यू के जांच अधिकारियों को खुद के पढ़े-लिखे नहीं होने की बात कह कर घोटाले में संलिप्तता से बचने का दांव खेल रहे हैं।
लखमा पूछताछ में कहते हैं कि आबकारी अफसर उन्हें फाइल पढ़कर सुनाते थे और उनके कहने पर वे फाइलों में हस्ताक्षर करते थे। इसके साथ ही लखमा पूर्व में ईडी को दिए गए बयान को भी बार-बार दोहराकर बचने की कोशिश कर रहे है।
ईओडब्ल्यू की टीम ने गुरुवार को लगातार दूसरे दिन जेल में करीब दो घंटे तक पूछताछ की। दोपहर 12 बजे जेल के अंदर दाखिल हुए डीएसपी व इंस्पेक्टर स्तर के चार जांच अधिकारी दो बजे बाहर निकले। इस दौरान कवासी लखमा से आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और सुकमा में कांग्रेस भवन व कोंटा में भवन निर्माण में दी गई राशि के आय के स्रोत के बारे में पूछा गया।
सात बिंदुओं का ‘न’ में दिया जवाब
ईओडब्ल्यू के जांच अधिकारियों ने पूर्व आबकारी मंत्री व कोंटा विधायक कवासी लखमा से दूसरे दिन सात बिंदुओं पर पूछताछ की। अधिकारी अपने साथ सवालों की सूची लेकर गए थे। उनसे उनके और स्वजन के नाम पर चल-अचल संपत्तियों के बारे में पूछा गया।
लखमा ने सारे सवालों का न में ही जवाब दिया। उनका कहना था कि जब कोई घोटाला ही नहीं हुआ, तो हिस्सेदारी का सवाल ही नहीं उठता। ईडी को वे अपने व परिवार के नाम की संपत्ति से संबंधित सारे दस्तावेज दे चुके हैं।
उन्हें परेशान करने झूठे मामले में फंसाया गया है। छापेमारी व उनके ठिकाने में तलाशी के दौरान कुछ भी नहीं मिला। इसके बाद भी आरोपित बनाकर जेल में डाल दिया गया। जांच एजेंसी चाहे जहां जितनी बार पूछे हर बार एक ही जवाब रहेगा। बताते चलें कि कवासी लखमा के खिलाफ जांच एजेंसियों ने डिजिटल साक्ष्य कोर्ट में पेश किए हैं।
