पुरी. आज 7 जुलाई को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का महापर्व है. उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा निकाली जाती है. पवित्र त्रिदेवों – भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा – की पहांडी बिजे यहां चल रही है. भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा पहले ही अपने रथों – तलध्वज और दर्पदलन पर सवार हो चुके हैं. इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रभु के दर्शन करने और उनका रथ खींचने वहां मौजूद हैं. राष्ट्रपति द्रौपती मुर्मु भी रथयात्रा में शामिल होने पहुंची है.
बता दें, इस बार 53 सालों के बाद पुरी की रथयात्रा दो दिनों तक चलेगी. प्रभु जगन्नाथ स्नान पूर्णिमा पर अधिक स्नान करने से बीमार हो गए थे, जो आज 15 दिनों के बाद स्वस्थ हो गए हैं. इसलिए रथयात्रा से पहले के उत्सव भी आज मनाए जा रहे हैं. उत्सव और पूजा होने के बाद शाम 5 बजे से भगवान की रथयात्रा शुरू होगी. वहीं रात के समय भगवान का रथ नहीं खींचा जाएगा.
इस बार पंचांग के अनुसार भगवान को आम दिनों से 2 घंटे पहले जगा कर सुबह 4 के बजाय रात 2 बजे मंगला आरती की गई. इसके बाद करीब 2:30 बजे दशावतार पूजन किया गया. 3 बजे नैत्रोत्सव और 4 बजे पुरी के राजा की तरफ से प्रभु की पूजा की गई. वहीं सुबह 5 बजे के बाद सूर्य पूजा और 5.30 बजे द्वारपाल पूजा की गई. सुबह 7 बजे भगवान को खिचड़ी भोग-प्रसाद लगाया गया.
जानिये क्या है पहांडी बिजे:
पहांडी बिजे यानि तीनों देवताओं को रथों पर चढ़ाने का अनुष्ठान. यह रथ यात्रा के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है. लाखों भक्त पवित्र त्रिदेवों के दुर्लभ अनुष्ठान की एक झलक पाने के लिए इंतजार करते हैं. जुलूस को ‘धाड़ी पहांडी’ (एक पंक्ति में जुलूस) कहा जाता है, जहां देवताओं को मंदिर के गर्भगृह से उनके संबंधित रथों तक एक के बाद एक भव्य जुलूस में ले जाया जाता है.
पहांडी बिजे अनुष्ठान की शुरुआत भगवान विष्णु के मुख्य हथियार भगवान सुदर्शन – भगवान जगन्नाथ के अवतार – को एक औपचारिक जुलूस में ले जाने से होती है, जिसके बाद एक विशिष्ट क्रम में देवताओं का जुलूस निकाला जाता है – भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और अंत में भगवान जगन्नाथ जी का.