जटिल मामलों में लगातार मिल रही सफलता
राजनांदगांव। संस्कारधाानी के प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विक्रम बैद बच्चों के जटिल मामले निबटाने में अक्सर चर्चा में बने रहते हैं। उन्होंने मुंबई, रायपुर के बाद जिला चिकित्सालय राजनांदगांव में पदस्थ रहते हुए जीवन का पिछले कुछ वर्षों में कई क्रिटिकल केस निबटाये हैं, लेकिन हाल फिलहाल का एक मामला उनके बिल्कुल ही नया जटिल प्रकरण था जिसमें उन्हांेने काफी मशक्कत के बाद बच्चे की जान बचाने में सफलता पायी है।
दरअसल इस शहर के पास के एक गांव की दंपत्ति ने रायपुर के एक अस्पताल में बड़े ऑपरेशन से जन्मे जुड़वा बच्चों को अफीम की डोज दे दी थी, जैसा पुराने जमाने के लोग अपने बच्चों को देते थे। बच्चे लंबी नींद सोते थे और पिता या पालकगण अपने काम में व्यस्त हो जाते थे। डॉ. विक्रम बैद ने बताया के दोनों बच्चे डेढ़ माह के हैं और अफीम की खुराक लेने के बाद एक बच्चा स्वस्थ ही था जबकि दूसरा बच्चा अफीम की अधिक खुराक से ज्यादा नशे के कारण कोमा में चला गया था। बच्चे के लगातार रोने पर समय रहते उसे अस्पताल लाया गया और उसे 15 जून की रात 10.30 बजे शुक्ला मल्टी स्पेशिलिटी हास्पीटल सांस लेने में कठिनाई को देखते हुए वेंटिलेटर पर रखा गया। फिर उसकी आंखों की पुतलियां भी छोटी हो गईं थीं। दरअसल अफीम में ओपियम नामक तत्व होता है जो नशे का कारण बनता है। ज्यादा डोज से हुए अधिक नशे का असर कम करने के लिये उसे प्रतिरोधी दवा इंजेक्शन के माध्यम से देना पड़ा। फिर दो दिन में बच्चा स्वस्थ हो गया। डॉक्टर बैद ने कहा कि किसी भी माता-पिता या पालक बिना डॉक्टरी सलाह के अपने बच्चों को कोई भी दवा या ड्रग न दें। ऐसा करना बहुत खतरनाक हो सकता है।