नई दिल्ली. अजरबैजान से दिल्ला लाया गया गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के भतीजे सचिन बिश्वोई ने स्पेशल सेल काउंटर इंटेलिजेंस यूनिट की पूछताछ में पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड की साजिश और विदेश से गैंग के ऑपरेशन को लेकर खुलासा किया है. पूछताथ में सचिन ने बताया कि वह फर्जी पासपोर्ट के जरिए दिल्ली एयरपोर्ट से अप्रैल के महीने में दुबई भाग गया था. दुबई में रहते हुए उसने दर्जनों बार गोल्डी बराड़ से बात की और लॉरेंस बिश्नोई से तिहाड़ जेल में फोन पर बात की थी. सचिन ने बताया, ‘लॉरेंस बिश्नोई ने मुझसे कहा की मैं तिहाड़ जेल में हूं और फोन ज्यादा इस्तेमाल नही कर पा रहा हूं, इसलिए गोल्डी अनमोल और तुम मिलकर मूसेवाला हत्याकांड को अंजाम दो.’
सचिन ने बताया, ‘दुबई में मेरी मुलाकात गैंगस्टर विक्रम बराड़ से हुई. विक्रम एक किराए के फ्लैट में गैंग के 4-5 सदस्यों के साथ अत्याधुनिक हथियारों के साथ रहता था, जहां मैंने भी करीब डेढ़ महीना गुजारा था. इस दौरान हवाला से विक्रम बराड़ पैसे का इंतजाम करता था, जिससे हम खाने-पीने और अपने ऑपरेशन का काम देखते थे. मूसेवाला हत्याकांड के बाद एजेंसियों अलर्ट पर थीं तो मुझे गोल्डी का फोन आया की तेरा पासपोर्ट ब्लेक लिस्ट हो गया है. तुझे हम जल्द सेफ हाउस देंगे तू अजरबैजान निकल जा.’
सचिन बिश्नोई ने बताया, ‘जिसके बाद मूसेवाला हत्याकांड के दो-तीन दिन बाद में अजरबैजान पहुंच गया, जहा मैंने वहां की राजधानी बाकु में एक किराए का फ्लैट लिया था. करीब दो महीने वहां से मैं बमबीहा गैंग के गैंगस्टर बिक्की मिददुखेड़ा के हत्यारे कौशल चौधरी को कस्टडी में मरवाने का प्लान बना रहा था. तभी एक रोज पार्क में वॉक करते वक्त मुझे अजरबैजान पुलिस ने पकड़ लिया. जिसक बाद से मैं डिटेंशन सेंटर में बन्द था. मैंने अपना एक वकील किया था, जिससे केवल लैंडलाइन पर बात कर पाता था. मूसेवाल हत्याकांड की प्लानिंग में गोल्डी ने मुझे गाड़िया अरेंज करने का काम सौंपा था. जो मैंने ब्लोरो कार अरेंज कर दी थी.’
दिल्ली पुलिस द्वारा अजरबैजान से लाए गए सचिन बिश्नोई से पूछताछ की गई है, जिसमें कई बड़े खुलासे हुए हैं. पुलिस की पूछताछ में सचिन ने बताया कि उसने अजरबैजान में रहकर अजेरी भाषा सीख ली थी और वह जल्द रशियन भाषा भी सीखने की तैयारी कर रहा था. अजरबैजान में रह रहे भारतीयों से सचिन बिश्नोई ने तालमेल बनाने की कोशिश शुरू कर दी थी. गैंगस्टर सचिन बिश्नोई ने बताया कि वह गोल्डी बराड़ और अनमोल बिश्नोई के पास शिफ्ट होने की प्लानिंग कर रहा था.
पुलिस की पूछताछ में सचिन बिश्नोई ने बताया कि लॉरेंस बिश्नोई, गोल्डी बराड़ और अनमोल बिश्नोई का गैंग एक कॉर्पोरेट कंपनी की तरह काम करता है, जिसमें हर महीने करीब 2 करोड़ रुपये की कमाई होती है. कई बार यह आंकड़ा 5 करोड़ रुपये प्रति महीना भी पार कर जाता है. सचिन बिश्नोई ने बताया कि लॉरेंस बिश्नोई क्राइम सिंडिकेट की मंथली फिक्स है. खास तौर पर हरियाणा व राजस्थान के बिल्डर, ठेकेदार, शराब कारोबारी, बड़े भू माफिया और नामचीन डॉक्टर डर के चलते हर महीने लॉरेंस बिश्नोई को पैसा देते हैं और जो महीने का वसूली नहीं देता है तो उसके घर और दफ्तरों पर ताबड़तोड़ फायरिंग करा दी जाती है.
हर महीने वसूली का पैसा गैंग के सदस्यों को सैलरी के तौर पर बांटा जाता है और बाकी पैसा हवाला के जरिए गोल्डी बराड़ व अनमोल बिश्नोई तक पहुंच जाता है, जिससे कि पाकिस्तान और यूएसए से अत्याधुनिक हथियार गैंग के बेड़े में शामिल किये जाते हैं. सचिन बिश्नोई थापन के कई गुर्गे इस वक्त भारत में मौजूद हैं, जिनको लेकर इस काउंटर इंटेलीजेंस यूनिट स्पेशल सेल सचिन से पूछताछ कर रही है.