रायपुर। प्रदेश में तेंदूपत्ता संग्रहण का काम तेजी से चल रहा है। कुछ जगहों पर नगद भुगतान की मांग उठ रही है। नारायणपुर में तेंदूपत्ता संग्राहकों ने ज्ञापन भी सौंपा है। इससे परे अब तक 70 फीसदी तेंदूपत्ता की तोड़ाई हो चुकी है। करीब 10 फीसदी से अधिक मजदूरी भुगतान ही हुआ है। लघु वनोपज संघ के एमडी अनिल राय ने नारायणपुर में तेंदूपत्ता संग्राहकों की नगद भुगतान की मांग पर अनभिज्ञता जताई है। उन्होंने कहा कि सारा भुगतान बैंक से संग्राहकों के खाते में ट्रांसफर होते हैं। इससे किसी भी तरह की गड़बड़ी की संभावना नहीं के बराबर रहती है। राय ने बताया कि तेंदूपत्ता संग्रहण होने के एक हफ्ते बाद ही मजदूरी भुगतान होता है। फड़ मुंशी पहले रजिस्टर में मात्रा और मजदूरी दर्ज करता है इसके बाद संग्राहकों के खाते में मजदूरी की राशि ट्रांसफर की जाती है। उन्होंने कहा कि अब तक 10 फीसदी से अधिक मजदूरी भुगतान हो चुका है।
बताया गया कि नारायणपुर में तेंदूपत्ता संग्राहकों ने कलेक्टर विपिन मांझी को ज्ञापन सौंपकर भुगतान में देरी को देखते हुए नगद भुगतान की मांग की है। खास बात यह है कि वन मंत्री केदार कश्यप खुद इस क्षेत्र के हैं।
जानकारों का कहना है कि बीजापुर के सुदूर इलाकों में नगद भुगतान की छूट दी गई थी। वजह यह थी कि बीजापुर धुर नक्सल प्रभावित इलाका है। बैंक के दूर होने की वजह से संग्रहकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता रहा है। मगर बाकी जगहों पर ऐसी स्थिति नहीं है। दूसरी तरफ, प्रदेश में इस बार तेंदूपत्ता संग्राहकों को 55 सौ रुपये प्रति मानक बोरी की दर से भुगतान किया जा रहा है। इस बार करीब 8 सौ करोड़ से अधिक मजदूरी भुगतान किया जाएगा। अब तक 70 फीसदी तेंदूपत्ता की तोड़ाई हो चुकी है। सुकमा आदि जगहों पर तो तेंदूपत्ता की तोड़ाई का काम पूरा हो चुका है। सरगुजा में विलंब से चल रहा है लेकिन हफ्ते-दस दिन में प्रदेशभर में तेंदूपत्ता संग्रहण का काम पूरा होने की उम्मीद है।