रेवाडीह में हुई थी हत्या
राजनांदगांव। 8 नवंबर 2018 को रात्रि 9.00 बजे के आसपास डोमेन्द्र यादव पिता स्व. तिलक यादव, उम्र 26 साल निवासी ग्राम रेवाडीह, शीतला पारा, थाना लालबाग, जिला राजनांदगांव अपने परिवार के साथ खाना खाने के बाद अपनी मां को गुटखा खाने जा रहा हूँ, कह कर घर से बाहर निकला। डोमेन्द्र की बहन तुलसी घर के बाहर फटाखा फोड़ रही थी। थोड़ी देर बाद पड़ोसी एवन यादव डोमेन्द्र के घर आया और बताया कि डोमेन्द्र यादव को कुछ लोग मार रहे हैं, तब डोमेन्द्र यादव का भाई लोकेश यादव अपने भाई को बचाने के लिए घर से निकला, तो देखा कि उसकी बहन तुलसी यादव उसके भाई डोमेन्द्र यादव के साथ मारपीट कर रहे मोनू पटोती, दीपचंद, डोमन ठाकुर, भूपेन्द्र कोमरे से बीच-बचाव कर रही थी, उसकी बहन को भी उनके द्वारा धक्का देकर गिरा दिया गया। लोकेश यादव के पहुंचने पर मोनू पटोती, दीपचंद, डोमन ठाकुर, भूपेन्द्र कोमरे द्वारा उसके भाई डोमेन्द्र यादव को डण्डा एवं चाकू से जानलेवा वार कर भाग गये थे। डोमेन्द्र रोड के किनारे खून से लथपथ घायल अवस्था में पड़ा हुआ था। उसके जिस्म के कई हिस्से में प्राण घातक घाव थे और वह दर्द से कराह रहा था जिसे उपचार हेतु जिला अस्पताल राजनांदगांव लाया गया, जहां ईलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
घटना की रिपोर्ट मृतक के भाई लोकेश यादव द्वारा थाना लालबाग में दर्ज कराई गई थी। थाना लालबाग द्वारा मर्ग जांच पश्चात् प्रथम सूचना पत्र दर्ज किया गया तथा अपराध के अन्वेषण पश्चात आरोपी दीपचंद कोमरे एवं डोमन ठाकुर के विरुद्ध भारतीय दण्ड विधान की धारा 302, 34 भादवि एवं धारा 25, 27 आर्म्स एक्ट के तहत् विचारण हेतु न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था। नाबालिक ओमन पडोती उर्फ मोनू उर्फ मोन्टा एवं भूपेन्द्र कोमरे उर्फ मंगलू के विरुद्ध पृथक से चालान बाल न्यायालय के समक्ष पेश किया गया।
माननीय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश राजनांदगाँव पीठासीन अधिकारी श्रीमती सत्यभामा अजय दुबे द्वारा सुनवाई उपरान्त मामले में आज फैसला सुनाते हुए आरोपी दीपचंद कोमरे पिता अशोक कोमरे, उम्र 24 वर्ष एवं डोमन ठाकुर पिता नकुल ठाकुर, उम्र 23 वर्ष, दोनों निवासी रेवाडीह, वार्ड नं. 21, मिलन चौक, थाना लालबाग, जिला राजनांदगांव को डोमेन्द्र यादव की हत्या का दोषी साबित पाते हुए भारतीय दण्ड विधान की धारा 302/34 के अपराध के लिए आजीवन कारावास के दण्ड एवं रुपये 10000-10000 के अर्थदण्ड से दण्डित किये जाने का दण्डादेश पारित किया गया है। अर्थदण्ड की राशि अदा न किये जाने की स्थिति में अभियुक्तगणों को 6-6 माह का सश्रम करावास पृथक से भुगतनी होगी। मामले में छत्तीसगढ़ राज्य की ओर से लोक अभियोजक नारायण प्रसाद कन्नौजे एवं अतिरिक्त लोक अभियोजक कुंजलाल साहू ने पैरवी की।