रायपुर। छत्तीसगढ़ के वनांचल क्षेत्र बस्तर में नक्सलियों का आतंक एक बार फिर बढ़ने लगा है। हालांकि केंद्र और राज्य की सरकार लगातार नक्सलियों की कमर तोड़ने की कवायद में लग हुई है। लेकिन इस बीच बस्तर नक्सलियों के हथियार फैक्ट्री का खुलासा हुआ है, जहां बंदूकें बनाई जा रही हैं। बंदूक बनाने के लिए कई कारीगर एक साथ मिलजुल कर काम कर रहे हैं। कुछ वर्दी में है तो कुछ सामान्य वेशभूषा में। खास बात यह है कि बनाए जाने वाली बंदूक परंपरागत तरीके से बनाई जा रही हैं।
मिली जानकारी के अनुसार दक्षिण बस्तर का सुकमा बीजापुर जिले का इलाका, जिसे नक्सलियों की मिलिट्री राजधानी कह जाता है। ऐसा इसलिए कि यहां युवा नौजवान नक्सलियों की विचारधारा से प्रेरित होकर लगातार हथियारों से खेलना, हमले करना, हथियार बनाना आम समझते हैं। यहां लोग दिनभर घरों में काम करते दिखाई देंगे, लेकिन एक तस्वीर ये भी सामने आती है जहां जंगलों में हथियारों की फसल लगाई जाती है। यहां नक्सली युवाओं के हाथों में बंदूक थमाकर सत्ता की चाबी खोलना चाहता है, जहां किसी भी पल पुलिस फोर्स पर अचानक नक्सली 300 से 400 की संख्या में लड़ाकों को लेकर हमला बोल देते हैं। आखिर इनके हथियार इन्हें कहां से मिलते हैं? अत्याधुनिक हथियारों का इंटर स्टेट बॉर्डर कनेक्शन तो आपने सुना होगा कि कैसे नेपाल के रास्ते पाकिस्तान और चाइना के जरिए हथियार माओवादियों तक पहुंचते हैं। लेकिन आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं बस्तर के जंगलों में माओवादी हथियार कैसे बनाते हैं। इसके लिए उन्हें कुछ खास तकनीक का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता। नक्सली सालों से परंपरागत तौर पर इस्तेमाल होने वाली 12 बोर की बंदूक और सिंगल शॉट गन इसी तरह से बनाते हैं। इनमें छोटी से लेकर कंधे पर टांगने के लिए बनाई जाने वाली बंदूक शामिल है।