बीजापुर/दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दक्षिण बस्तर से एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की माड़ डिवीजनल कमेटी ने नया पत्र जारी कर सशस्त्र संघर्ष छोड़ने और शांति प्रक्रिया में शामिल होने की घोषणा की है। इस पत्र पर संगठन की सचिव संगीता (सनीता) के हस्ताक्षर हैं। पत्र में कमेटी ने स्पष्ट किया है कि पार्टी के पॉलिट ब्यूरो सदस्य कॉमरेड सोनू द्वारा पहले जारी किए गए पत्र में जिस हथियार छोड़ने के निर्णय की बात कही गई थी, उसे माड़ डिवीजन पूरी तरह समर्थन देती है। संगठन ने कहा कि 15 अक्टूबर 2025 तक वे हथियार डालकर शांति प्रक्रिया में शामिल होंगे।
माओवादी संगठन ने स्वीकारा—बदलते हालात में सशस्त्र संघर्ष अब प्रभावी नहीं रहा
माड़ डिवीजनल कमेटी ने अपने पत्र में लिखा है कि देश और दुनिया में लगातार बदलती सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों के बीच पार्टी ने सशस्त्र संघर्ष की उपयोगिता पर पुनर्विचार किया है।
पत्र में कहा गया है
“हमारी सशस्त्र क्रांति लगातार कमजोर होती जा रही थी। कई बार स्थिति को सुधारने और आंदोलन को मज़बूत करने की कोशिश की, लेकिन बदलते हालात के चलते हम सफल नहीं हो पाए।” संगठन ने स्वीकार किया है कि पुलिस और सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव, लगातार जारी दमनात्मक अभियानों, और जनता के घटते समर्थन के कारण माओवादी आंदोलन पहले जैसी ताकत नहीं रखता। कमेटी ने माना कि अब संघर्ष की पुरानी पद्धति वर्तमान समाज और जनता की अपेक्षाओं से मेल नहीं खाती, इसलिए पार्टी शांति और पुनर्निर्माण के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहती है।
कॉमरेड सोनू के निर्णय को मिला संगठन का समर्थन
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही माओवादी पॉलिट ब्यूरो सदस्य कॉमरेड सोनू ने एक पत्र जारी कर हथियार डालने और सरकार से संवाद शुरू करने की इच्छा जताई थी। अब माड़ डिवीजनल कमेटी ने औपचारिक रूप से उस निर्णय का समर्थन करते हुए कहा है कि वे “कॉमरेड सोनू के नेतृत्व में लिए गए निर्णय के साथ हैं।” संगठन ने लिखा कि शांति वार्ता की संभावनाओं पर कई महीनों से चर्चा चल रही थी और अब यह निर्णय “पार्टी और जनता के हित में जरूरी कदम” है।
जनता से अपील – निर्णय को समझें और समर्थन करें
माओवादियों ने अपने इस पत्र में आम जनता से भी अपील की है कि वे इस निर्णय को समझें और समर्थन दें। कमेटी ने लिखा है- “हम जनता से अपील करते हैं कि वे इस निर्णय को समझें और हमारे साथ शांति के रास्ते पर चलें। पुरानी हिंसक पद्धति अब समय की मांग नहीं है।” साथ ही, पत्र में यह भी कहा गया है कि अब माड़ क्षेत्र में संगठन की ओर से किसी भी तरह की गैरकानूनी गतिविधि नहीं की जाएगी।
सरकारों से अपील – पुलिस कार्रवाई को रोकने की मांग
कमेटी ने केंद्र और राज्य सरकारों से भी अपील की है कि वे इस निर्णय को सकारात्मक रूप से लें और सुरक्षा बलों की मौजूदा कार्रवाई को अस्थायी रूप से रोकें, ताकि आत्मसमर्पण की प्रक्रिया शांतिपूर्वक पूरी की जा सके। “हम जिम्मेदारी के साथ इस निर्णय को लागू करेंगे और किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल नहीं रहेंगे। इसके लिए आवश्यक है कि पुलिस की दमनात्मक कार्रवाई को कुछ समय के लिए रोका जाए।” संगठन ने यह भी कहा कि अगर पुलिस कार्रवाई जारी रहती है तो हथियार डालने की प्रक्रिया में बाधा आ सकती है। इसलिए उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि 15 अक्टूबर तक चल रहे सर्च ऑपरेशन और एनकाउंटर जैसे अभियान रोके जाएं।
15 अक्टूबर तक आत्मसमर्पण प्रक्रिया पूरी करने की बात
माड़ डिवीजनल कमेटी ने साफ कहा है कि 15 अक्टूबर तक संगठन अपने क्षेत्र में आत्मसमर्पण की प्रक्रिया पूरी करेगा। सचिव संगीता ने पत्र में लिखा है- “हम अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए जल्द से जल्द इस निर्णय को लागू करेंगे। हमारी कोशिश है कि तय समय सीमा के भीतर यह काम पूरा हो।”
माओवादियों के भीतर बदलाव का संकेत
विश्लेषकों के मुताबिक, माड़ डिवीजनल कमेटी का यह फैसला माओवादी संगठन के भीतर एक बड़े विचारात्मक बदलाव का संकेत है। बीजापुर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर जैसे क्षेत्रों में माड़ डिवीजनल कमेटी का प्रभाव लंबे समय से रहा है। ऐसे में यह निर्णय माओवादी आंदोलन के कमजोर होने की दिशा में एक और बड़ा कदम माना जा रहा है।


