रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सल संगठनों की ओर से एक बार फिर शांति वार्ता का प्रस्ताव सामने आया है। नक्सलियों के उत्तर-पश्चिम सब जोनल ब्यूरो के प्रभारी ‘रुपेश’ की ओर से जारी प्रेस नोट में सरकार से बातचीत की अपील की गई है। नक्सल संगठन ने इस नोट में स्पष्ट किया है कि वे पुलिस जवानों को अपना दुश्मन नहीं मानते और बार-बार पोस्टरों और पर्चों के माध्यम से इसी संदेश को दोहराया है। प्रेस नोट में नक्सलियों ने कहा है, “हमें समझना होगा कि आपसी संघर्ष की स्थिति बनाई गई है। हम जनता और अपने कैडर को ही अपना मानते हैं, उन पर गोली न चलाई जाए। शांति वार्ता के हमारे प्रयास का समर्थन करें।”इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सरकार नक्सलियों से बातचीत के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास नक्सलियों के पुनर्वास के लिए एक स्पष्ट और प्रभावी नीति है। साथ ही उन्होंने नक्सलियों से अपील की कि वे हथियार छोड़कर सामने आएं और बातचीत का रास्ता अपनाएं। गृह मंत्री शर्मा ने कहा, “अगर कोई एक व्यक्ति भी बातचीत के लिए तैयार है तो सरकार भी तैयार है। चाहे वह छोटा समूह हो या बड़ा, सरकार हर स्तर पर चर्चा के लिए तत्पर है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह पहल प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में की जा रही है। हालांकि, गृह मंत्री ने यह भी कहा कि बंदूक के जवाब में केवल चर्चा नहीं की जा सकती, जरूरत पड़ने पर सरकार कड़ी कार्रवाई भी करेगी। उन्होंने नक्सल संगठन की ओर से आया पत्र “सही और प्रामाणिक” बताया। सरकार का मानना है कि शांति वार्ता के जरिए नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थायित्व और विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है। नक्सलियों से अपील की गई है कि वे किसी के इंतजार में समय न गंवाएं और वार्ता के लिए आगे आएं।