International Women’s Day: NITI Aayog ने “फ्रॉम बॉरोअर्स टू बिल्डर्स: वुमेन्स रोल इन इंडियाज फाइनेंशियल ग्रोथ स्टोरी” प्रकाशित की. इस रिपोर्ट के मुताबिक महिलाएं पहले के मुकाबले अब ज्यादा सजग, सशक्त और आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो रही है. इसमें केरल (Kerala) की महिलाएं सबसे आगे हैं. महिला उधारकर्ताओं में देश में इनकी हिस्सेदारी 6 परसेंट है. जबकि इस मामले में पूरे देश में ये छठवें स्थान पर हैं. आर्थिक समावेशन और सशक्तिकरण के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जबकि केरल की जनसंख्या अन्य कई बड़े राज्यों के मुकाबले अपेक्षाकृत कम है.
आयोग की इस स्टडी में यह भी पाया गया कि केरल में महिला कर्जदार सबसे ज्यादा नगरीय क्षेत्रों से हैं, इसके बाद ग्रामीण व शहरी क्षेत्र की महिलाएं हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं का कर्ज लेना देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ सामाजिक विकास के लिए भी जरूरी है.
बीतें सोमवार 4 मार्च को NITI Aayog ने From Borrowers to Builders – Women’s Role in India’s Financial Growth Story, प्रकाशित की. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में महिलाएं अब पहले से अधिक वित्तीय रूप से जागरूक हो रही हैं और ऋण (Loan) लेने के साथ-साथ अपने क्रेडिट स्कोर को भी मैनेज कर रही है. इससे साफ है कि लोन बाजार में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ रही है.
महिला कर्जदारों में महाराष्ट्र की महिलाएं टॉप पर
महाराष्ट्र में महिला कर्जदारों की संख्या सबसे अधिक 15 परसेंट है. वहीं इसके बाद 11 परसेंट की हिस्सेदारी के साथ तमिलनाड़ु दूसरे स्थान पर, जबकि तीसरे पायदान पर कर्नाटक के 9 परसेंट महिलाओं की हिस्सेदारी है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश और तेलंगाना में इनकी हिस्सेदारी 7 परसेंट है. नीति आयोग की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि राज्य में 44 फीसदी महिलाओं ने छह महीने में अपने क्रेडिट स्कोर में सुधार देखा है. इससे पता चलता है कि राज्य की महिलाओं के बीच फाइनेंशियल अवेयरनेस किस तेजी से बढ़ रही है.

