Bihar Special State Status: 23 जुलाई को पेश होने वाले केंद्रीय बजट (union budget) से पहले नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की JDU ने बिहार के विशेष राज्य के दर्जे की मांग उठाकर PM मोदी (PM Modi) और BJP की टेंशन बढ़ा दी है। जेडीयू के अलावा जीतनराम मांझी की हम (HUM) और चिराग पासवान की एलजेपी (LJP) ने भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा की मांग की है। इस मांग ने BJP के लिए टेंशन बढ़ा दी है।
दरअसल गुरुवार (11 जुलाई) को नालंदा के बिहार शरीफ के समाहारणालय परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में बिहार सरकार में मंत्री विजय कुमार चौधरी आज (10 जुलाई) शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने समीक्षा बैठक की. समीक्षा बैठक के बाद उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस की।
इस दौरान उन्होंने कहा कि हमलोग विशेष राज्य का दर्जा चाहते हैं, लेकिन कोई दिक्कत है तो हम लोग विशेष पैकेज की मांग करते हैं। यानी विशेष सहायता मांगते हैं। बिहार भाग्यशाली प्रदेश नहीं है।उन्होंने यह भी कहा कि सीमित संसाधन के बावजूद नीतीश कुमार ने पूरे देश को बता दिया कि हमारे संसाधन कम है, लेकिन तरक्की की रफ्तार में किसी विकसित प्रदेश से कम नहीं है।
मंत्री विजय कुमार चौधरी ने आगे कहा कि हम इस देश के किसी प्रदेश के मुकावाले अच्छी गति से तरक्की कर रहे हैं, लेकिन फिर भी गरीब बने हुए हैं इसलिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज की आवश्यकता है। हमलोग को आशा है की जरूर इस पर विचार होगा। वहीं, रुपौली उपचुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि एनडीए समर्थित जेडीयू उम्मीदवार निश्चित जीतेगा।
विशेष श्रेणी का दर्जा कैसे दिया जाता है?
केंद्र सरकार सामाजिक-आर्थिक और भौगोलिक रूप से पिछड़े राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा देती है, ताकि उन्हें आगे बढ़ने में मदद मिल सके। पांचवें वित्त आयोग की सलाह पर 1969 में यह वर्गीकरण किया गया था। चूंकि भारत ‘राज्यों का संघ’ है. वर्तमान में भारत में 29 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश हैं। वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार, इन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को हर पांच साल में केंद्र सरकार के राजस्व का एक हिस्सा मिलता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 275 के अनुसार, केंद्र सरकार किसी भी राज्य को वित्त आयोग की सिफारिशों के अलावा अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान कर सकती है। 29 भारतीय राज्यों में से 11 को पहले से ही विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा प्राप्त है और 5 और राज्य इसके लिए अनुरोध कर रहे हैं।
विशेष राज्यों का दर्जा देने का क्या पैमाना?
– संसाधनों की कमी से जूझ रहा राज्य.
– प्रति व्यक्ति निम्न आय.
– राज्य की वित्तीय स्थिति व्यवहार्य नहीं होना.
– आर्थिक एवं संरचनात्मक पिछड़ापन.
– एक बड़ी जनजाति का अस्तित्व.
– पहाड़ी और चुनौतीपूर्ण इलाका.
– सीमावर्ती क्षेत्र जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं.
– एक विरल आबादी वाला क्षेत्र.
राष्ट्रीय विकास परिषद, योजना आयोग के कार्यों की देखरेख और निर्देशन करती है. प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और आयोग के सदस्यों से मिलकर बनी होती है.