न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि नकारात्मक समानता के आधार पर गलत आदेश पारित नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का मतलब अवैधता को कायम रखना और नकारात्मक समानता की परिकल्पना करना नहीं है।
सुनिश्चित कैरियर प्रगति योजना एसीपीएस से जुड़े मामले में हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण व्यवस्था दी है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि नकारात्मक समानता के आधार पर गलत आदेश पारित नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का मतलब अवैधता को कायम रखना और नकारात्मक समानता की परिकल्पना करना नहीं है। यदि कुछ लोगों को अनजाने में या गलती से लाभ दिया गया हो तो वही लाभ पाने के लिए याचिकाकर्ता कोई कानूनी अधिकार नहीं रखता है। ऊना के रवि कुमार की याचिका का निपटारा करते हुए अदालत ने यह निर्णय सुनाया।
याचिकाकर्ता वर्ष 2008 में प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नत हुआ था। चार वर्ष का कार्यकाल पूरा करने पर उसने सुनिश्चित कैरियर प्रगति योजना एसीपीएस 2012 के आधार पर वेतन वृद्धि की मांग की। शिक्षा विभाग ने वर्ष 2014 में उसे यह लाभ प्रदान कर दिया, लेकिन वर्ष 2017 में विभाग ने पाया कि याचिकाकर्ता इस वेतन वृद्धि का हकदार नहीं है। विभाग ने 6 अक्तूबर, 2017 को जारी आदेशों के तहत यह लाभ वापस ले लिया। याचिकाकर्ता ने इस आदेश को अदालत के समक्ष चुनौती दी। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि सुनिश्चित कैरियर प्रगति योजना एसीपीएस 2012 के आधार पर विभाग के कई कर्मचारियों को वेतन वृद्धि का लाभ दिया गया है।
समानता के आधार पर उसे भी यह लाभ दिया जाना चाहिए। शिक्षा विभाग की ओर से दलील दी गई कि जिस कर्मचारी को उसके सेवाकाल में तीन वेतन वृद्धि का लाभ दे दिया गया है, वह सुनिश्चित कैरियर प्रगति योजना एसीपीएस 2012 के आधार पर वेतन वृद्धि के लाभ का हकदार नहीं है। अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता को पहले ही उसके सेवाकाल में तीन वेतनवृद्धि का लाभ दे दिया गया है। याचिकाकर्ता को अब सुनिश्चित कैरियर प्रगति योजना एसीपीएस 2012 के आधार पर चौथी वेतन वृद्धि नहीं दी जा सकती। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह निर्णय सुनाया।