नीति के बिना कोई भी कार्य सफल नहीं होता! जैन संत हर्षित मुनि

 

प्रतिदिन एक परोपकार का कार्य करना चाहिए.

राजनांदगांव (दैनिक पहुना)। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि क्रम और नीति के बिना कोई भी कार्य सफल नहीं होता है। धर्म में यदि क्रम और नीति जुड़ जाए तो वह धर्म सफल है। किसी भी कार्य को नियम से और क्रम से कीजिए। ईर्ष्याए स्वार्थए दूसरों के प्रति कलुषित भाव व्यक्ति के मन में आनाएयह धर्म की गलती नहीं बल्कि क्रम की गलती है। सद्कार्य कीजिए और क्रम से छोटी.छोटी नीतियों का पालन करते हुए धर्म की राह में आगे बढ़े।
समता भवन में आज अपने नियमित प्रवचन में संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि आपकी अनुपस्थिति में भी यदि आपके घर तथा आपकी दुकान में काम करने वाले आपकी तारीफ करते हैं तो समझिए कि आप क्रम और नीति का पालन कर रहे हैं। उससे मन को शांति का अनुभव होता है। अच्छे एवं उत्कृष्ट कार्य भी उन्हीं घरों में दस्तक देते हैं जो छोटे.छोटे अच्छे कार्यो को करने से चुकते नहीं है। धर्म के लिए किए गए कार्य भी धर्म की श्रेणी में तभी आएंगे जब वह क्रम से एवं नीतिगत हुए हो। व्यक्ति को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम प्रतिदिन कम से कम एक परोपकार का काम अवश्य करेंगे। यदि हमने एक परोपकार का कार्य नहीं किया तो वह दिन हमारा व्यर्थ गया।
संत श्री ने कहा कि गरीब लोग पोषण से कमजोर हैं किंतु आप तो अच्छे से अच्छा भोजन करते हैंए दवाइयां लेते हैंए प्रोटीन लेते हैं फिर आप क्यों कमजोर हैंघ् उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य प्रोटीन से नहीं बढ़ताए बल्कि पुण्य से बढ़ता है। पुण्य ही सफलता के मार्ग में ले जाता है। हमारे शरीर में दर्द होता हैए सिर में दर्द होता है जबकि सौ.सौ किलो वजन उठाने वाले को दर्द नहीं होता। उन्होंने कहा कि इसके पीछे का कारण यह है कि हमारे कार्य क्रम से और नीतिगत नहीं हो रहे हैं। बिना नीति से कोई भी कार्य सफल नहीं होता। आप कितनी भी दवा खा लीजिए किंतु आप ने दवा की नीति का पालन नहीं किया तो वह दवा आपको फायदा नहीं पहुंचा पाएगी। उन्होंने कहा कि क्रम और नीति का पालन करें तो आपके सभी कार्य सफल होंगे.

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