‘शादी में मिली हर चीज स्त्री धन नहीं होती…’ तलाक के मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला, महिला की याचिका खारिज

दिल्ली के कड़कड़डूमा से एक मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला ने कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें उसने शादी में दी गई कार और अन्य स्त्री धन की मांग की. हालांकि, कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया. महिला ने बताया कि उसकी शादी चार साल पहले, 2021 में हुई थी, और इस दौरान उसके माता-पिता ने उसे एक कार और कई अन्य वस्तुएं उपहार में दी थीं.

जब किसी लड़की की शादी होती है तो उसके माता-पिता और रिश्तेदार उसे विभिन्न उपहार देते हैं. यदि बाद में उस महिला का तलाक होता है या वह अपने पति से अलग हो जाती है, तो वह अक्सर ससुराल से दिए गए स्त्री धन की वापसी की मांग करती है. हालाँकि, एक महिला की इस मांग को अदालत ने खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि शादी में दी गई हर वस्तु को स्त्री धन नहीं माना जा सकता.

स्त्री धन वापस लेने के लिए दी याचिका

महिला ने याचिका में यह आरोप लगाया कि शादी के तुरंत बाद उसके ससुराल वाले उसे मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान करने लगे, जिसके कारण वह घरेलू हिंसा का शिकार हुई. परेशान होकर उसने अपने ससुराल को छोड़कर अपने माता-पिता के घर जाने का निर्णय लिया. अब तलाक की प्रक्रिया के बीच, उसने शादी के दौरान दी गई कार और अन्य सामान वापस लेने के लिए अदालत का सहारा लिया. हालांकि, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी सोनिका की अदालत ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि महिला अपने दावों के समर्थन में कोई ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं कर पाई.

दावे पर सबूत पेश नहीं कर पाई महिला

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि महिला अपने दावे के समर्थन में न तो कोई बिल, न कोई फोटो और न ही कोई एफिडेविट प्रस्तुत कर सकी. ऐसे में केवल एक अप्रमाणित सूची के आधार पर महिला धन की वापसी का आदेश देना न्यायसंगत नहीं है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं, जिसमें बचाव पक्ष के वकील ने तर्क दिया कि यह याचिका केवल ससुराल वालों को ब्लैकमेल करने और उनसे पैसे वसूलने के उद्देश्य से दायर की गई है.

बचाव पक्ष ने बताई जाली लिस्ट

बचाव पक्ष के वकील ने यह भी तर्क किया कि जिस कार का उल्लेख किया जा रहा है, वह महिला की बहन को दी गई थी. याचिकाकर्ता की बहन की शादी उसी दिन हुई थी, जिस दिन महिला की शादी हुई थी. इसके अलावा, महिला द्वारा कोर्ट में प्रस्तुत की गई स्त्री धन की सूची को भी बचाव पक्ष ने फर्जी करार दिया. इन सब तथ्यों के आधार पर, कोर्ट ने महिला की याचिका को खारिज कर दिया.

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