रायपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को चेन्नई-कोयम्बटूर रूट पर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों का उद्घाटन किया. देश भर में विभिन्न मार्गों पर वर्तमान में चल रही वंदे भारत ट्रेनों में 16 कोच हैं, जिसके विपरीत इस ट्रेन में आठ कोच हैं. यह ट्रेन रेल मंत्रालय का एक अहम कदम है, जिसे तुलनात्मक रूप से कम यात्री वाले मार्गों पर आने वाले दिनों में चलाया जाएगा.
वंदे भारत ट्रेन सेवा के जरिए भारत में एक नई संस्कृति का जन्म हुआ है. इससे न केवल भारत में तीव्र गति की ट्रेन सेवा का नया युग शुरू हुआ है, बल्कि इस सेवा के जरिए लोगों की ट्रेन सुविधा को लेकर नई सोच विकसित हुई. लेकिन अभी भी इस सेवा को व्यापक तौर पर अपनाने में रुकावटें आ रही हैं, जिनमें से ट्रेनों की यात्री क्षमता का अधिकतम उपयोग और किराया शामिल है.
जब बात होती है कि यात्री क्षमता का बेहतर उपयोग तो एक तरफ 100 फीसदी से ज्यादा ऑक्यूपेंसी वाली मुंबई-गांधीनगर (126.43%) और गांधीनगर-मुंबई (127.67%) के अलावा वाराणसी-नई दिल्ली (125.89%), नई दिल्ली-वाराणसी (121.51%), नई दिल्ली से श्री माता वैष्णो देवी कटरा (106.35%) और श्री माता वैष्णो देवी कटरा और नई दिल्ली (104.89%) की ऑक्यूपेंसी थी.
वहीं दूसरी ओर बात करें तो सबसे कम ऑक्यूपेंसी वाली वंदे भारत ट्रेनें बिलासपुर-नागपुर (55.25%) और नागपुर-बिलासपुर (52.86%) हैं. इस ट्रेन सेवा की शुरुआत 11 दिसंबर 2022 को हुई थी. इसके अलावा इंदौर-नई दिल्ली में 57.18% की ऑक्यूपेंसी है. वहीं चेन्नई-मैसूर (78.12%) और मैसूर-चेन्नई (68.26%) में भी कम यात्रियों की संख्या है.
भारी पड़ रहा है यात्री किराया
बिलासपुर-नागपुर और नागपुर-बिलासपुर वंदे भारत सेवा की लोकप्रियता कम होने की बड़ी वजह किराया है. इसमें बिलासपुर से रायपुर तक का किराया जहां 470-905 रुपए है, तो वहीं बिलासपुर से दुर्ग तक का किराया 635 से लेकर 1155 रुपए है. बिलासपुर से राजनांदगांव का किराया 690 रुपए से 1265रुपए है, तो बिलासपुर से गोंदिया के बीच का किराया 865 रुपए से लेकर 1620 रुपए है. बिलासपुर से नागपुर का किराया 1075 रुपए से 2045 रुपए है. यह किराया सुपर फास्ट ट्रेन से कमोबेश 30 प्रतिशत ज्यादा है.
किराए में कमी के साथ बढ़ेगी ऑक्यूपेंसी
माना जाता है कि किराए का निर्धारण सेवा में लगने वाले खर्च को ध्यान में रखते हुए तय किया जाता है. आठ कोच वाले वंदे भारत ट्रेनों के परिचालन में जाहिर है कि 16 कोच वाले ट्रेन की तुलना में कम खर्च आएगा. इसका सीधा फायदा यात्रियों को होगा, जो कम किराए में इस तेज गति की ट्रेन सेवा का लाभ ले पाएंगे.