बालाघाट। यदि आपको कोई घाव हो जाए तो जाहिर सी बात है आप उस घाव में चिकित्सा सलाह और उनके लिखी मलहम लगाएंगे, जिससे वह जल्दी ठीक हो जाए। लेकिन बालाघाट जिले के बैहर क्षेत्र के आदिवासी बाहुल्य गांव सुकलदंड में एक अलग ही नजारा देखने को मिला। जहां एक ग्रामीण महिला जख्म में मलहम की जगह मिर्च पाउडर लगा रही है। यह देखने और सुनने में बहुत अजीब सा लग रहा है, कि कोई अपने घाव में मिर्च पाउडर कैसे लगा सकता है, लेकिन यह हकीकत है।
बैहर क्षेत्र के वनांचल ग्राम सुकलदंड की ग्रामीण महिला बसंती घाव या चोट वाली जगह पर किसी मलहम का नहीं बल्कि मिर्च पाउडर का उपयोग करती है। उनका मानना है कि ऐसा करने से उनके घाव जल्दी ठीक हो जाते है। शरीर के जख्म पर मिर्च लगाना, इसकी कल्पना मात्र से ही दर्द महसूस होने लगता। लेकिन इस महिला के चेहरे पर दर्द जैसी कोई कशिश तक देखने नहीं मिली। चेहरे पर मुस्कान यह बताती है कि उनके लिए जख्म पर मिर्च पाउडर लगाने का यह इलाज बेहद शर्तिया इलाज है।
मिली जानकारी के अनुसार यह बुजुर्ग महिला सुकलदंड की रहने वाली है, जो बीते दिनों ऑटो से गिर गई थी। जिसके बाद उसके पाव में एक गहरा घाव हो गया था। जो अपने हाथो से उस घाव पर मिर्च लगाते हुए नजर आ रही है। जब उस बुजुर्ग महिला से लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने पूछा कि आप घाव पर मिर्च क्यों लगा रही हैं, तो बड़ी ही आसानी से उस महिला ने जवाब दिया कि इससे घाव में पानी नहीं लगता और जल्दी ठीक हो जाता है।
हालांकि यह घरेलू नुस्खा कितना कारगर है यह तो बसंती ही जान रही है। लेकिन इससे एक बात साफ़ हो रही है कि ग्रामीण अंचलो मे रहने वाले आदिवासी लोग अब भी देशी नुस्खे से इलाज करा रहे है,और कहीं न कहीं चिकित्सा सेवा उनकी पहुंच से दूर है। आदिवासी क्षेत्रों में बसे लोगों का नुस्खा यह बताता है कि उनके गांव व आसपास के क्षेत्र में स्वास्थ सेवा का अभाव है। ऐसा भी कहा जा सकता है कि आदिवासी लोगों में जागरूकता का भी अभाव है।