मुख्यमंत्री के आव्हान पर जनप्रतिनिधियों, सभी अधिकारी, श्रमिक किसान, गणमान्य नागरिक एवं जनसामान्य सभी ने बोरे-बासी का लिया आनंद

राजनांदगांव। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के अवसर पर प्रदेश के श्रमवीरों के सम्मान स्वरूप मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के आव्हान पर जनप्रतिनिधियों, सभी अधिकारी, श्रमिक किसान, गणमान्य नागरिक एवं जनसामान्य सभी ने छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय आहार बोरे-बासी का आनंद लिया। छत्तीसगढ़ के समृद्ध खान-पान एवं यहां के संस्कृति की विशेष पहचान है। बोरे-बासी हमारी छत्तीसगढ़ी लोक परंपरा में गहरे रची-बसी है। अपनी संस्कृति से गहरा जुड़ाव महसूस करते हुए जिलेवासियों ने बोरे-बासी खा कर अपनी अनुभूति व्यक्त की है। गांव से लेकर शहरों तक लोगों में अपनी संस्कृति के प्रति एक लगाव और अभूतपूर्व उत्साह रहा। मनरेगा में कार्य करने वाले श्रमिक से लेकर गांव के किसानों, बच्चों, युवाओं, बुजुर्गों एवं महिलाओं में खुशी एवं उत्साह रहा।  छत्तीसगढ़ राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष  दलेश्वर साहू एवं उनकी पत्नी श्रीमती जयश्री साहू, अध्यक्ष अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण भुनेश्वर बघेल, खुज्जी विधायक श्रीमती छन्नी चंदू साहू, खैरागढ़ विधायक श्रीमती यशोदा नीलाम्बर वर्मा, महापौर श्रीमती हेमा देशमुख, कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा, पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह, खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई के ओएसडी जगदीश सोनकर, जिला पंचायत सीईओ लोकेश चंद्राकर ने बोरे-बासी का आनंद लिया और सभी को श्रमिक दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
अध्यक्ष अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण भुनेश्वर बघेल ने दिन की शुरूआत बोरे-बासी भात खाकर किया। वहीं खुज्जी विधायक श्रीमती छन्नी चंदू साहू ने कहा कि खाने में जायकेदार बोरे-बासी खाने से कार्य करने वालों की थकान मिट जाती है। खैरागढ़ विधायक श्रीमती यशोदा नीलाम्बर वर्मा ने श्रम दिवस के अवसर पर बोरे-बासी भात खाकर अपनी खुशी जाहिर की।
अब्बड़ मिठाथे संगवारी छत्तीसगढ़ के बासी ह – महापौर श्रीमती हेमा देशमुख
महापौर श्रीमती हेमा देशमुख ने कहा कि अब्बड़ मिठाथे संगवारी छत्तीसगढ़ के बासी ह, इही हमर गंगा हे, इही हमर कासी, छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा।
बोरे बासी आमा के अथान, खाके बढाथन सबके मान – कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा 
कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा ने श्रम का सम्मान करते हुए बोरे-बासी का लुत्फ उठाया। उन्होंने कहा कि हमारी छत्तीसगढ़ी समृद्ध संस्कृति हमारी पहचान है। उन्होंने छत्तीसगढ़ी में अपने भावों को व्यक्त करते हुए कहा कि बोरे-बासी आमा के अथान, खाके बढ़ाथन सबके मान। सब ला काम मिलय, सबके मुंह म राहय हांसी, सब संग सब मिलंय, सब ल पुर जय बासी।
बोरे-बासी हर छत्तीसगढिय़ा की पसंद – पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह
श्रमिक दिवस के अवसर पर श्रम का सम्मान करते हुए पुलिस अधीक्षक श्री संतोष सिंह एवं उनके पुत्र अयान ने बोरे-बासी का स्वाद लिया। पुलिस अधीक्षक श्री संतोष सिंह ने कहा कि बोरे-बासी हर छत्तीसगढिय़ा की पसंद है। अपने आहार और अपनी संस्कृति के प्रति गर्व है।
बोरे बासी खाना किसी छप्पन भोग से कम नहीं – इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती ममता चंद्राकर
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती ममता चंद्राकर ने कहा कि बोरे बासी मतलब गरमी के दिनों में खाने से आत्मा को तृप्त करना.. इससे शरीर में ठंडक का अहसास होने के साथ ऊर्जा का संचार होता है। बोरे बासी के साथ आमा का अथान और गोंदली माने प्याज के साथ बोरे बासी खाना किसी छप्पन भोग से कम नहीं होता। बोरे बासी हमारी छत्तीसगढ़ी संस्कृति का अभिन्न अंग है। ठंडा मतलब बोरे बासी…। पद्मश्री श्रीमती फूलबासन यादव ने श्रम दिवस के अवसर पर बोरे-बासी खाकर अपनी प्रसन्नता जाहिर की।
गोंदली, आमा अउ पताल चटनी के संग अतिक मिट्ठे संगी हमर बिहनिया के बोरे-बासी – किसान एनेश्वर वर्मा
डॉ. खूबचंद बघेल से सम्मानित किसान एनेश्वर वर्मा ने छत्तीसगढ़ी आहार बोरे-बासी खाकर श्रम दिवस मनाया। उन्होंने कहा कि गोंदली, आमा अउ पताल चटनी के संग अतिक मिट्ठे संगी हमर बिहनिया के बोरे-बासी। अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी मृणाल चौबे ने बोरे-बासी खाकर श्रम दिवस एक विशेष अंदाज में मनाया। अंचल के प्रसिद्ध लोक गायक श्री महादेव हिरवानी  एवं श्री प्रभु सिन्हा ने श्रम दिवस के अवसर पर बोरे-बासी भात खाकर छत्तीसगढ़ी संस्कृति की अनुभूति को व्यक्त किया।
 मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किसान घर के बेटा हे -श्रमिक जनक राम साहू
नून, मिर्ची, अमारी फूल अऊ गोंदली के संग बोरे बासी गुरतुर लागथे
विकासखंड छुरिया के ग्राम सीताकसा के श्रमिक जनक राम साहू ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किसान घर के बेटा हे। उहू हा नून मिर्ची संग बोरे-बासी भात खाते, उहू हा हमरे सही नांगर-बैला जोतईया हे। नून, मिर्ची, अमारी फूल अऊ गोंदली के संग बोरे बासी गुरतुर लागथे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन ह बोरे-बासी दिवस तिहार ला मनात हे, खेत-खलिहान और रोजगार गारंटी से काम-धाम करके आये रबे त अमारी के चटनी और आमा के अचार अऊ गोंदली के संग एक बटकी बोरे बासी ला खाथन बड़ सुआये बोरे बासी हा। बोरे बासी खाये से हमर शरीर हा तंदुरस्थ रथे और बासी हमर शरीर म पानी के कमी के पूर्ति करथे। बोरे बासी खाये से हमर शरीर में बहुत ताकत आथे और शरीर ऊर्जा शक्ति बढ़थे। बोरे बासी दिवस मनाके किसान बड़ खुश हे भूपेश सरकार हा अनेक योजना ल चलावत हे, भूपेश सरकार ला धन्यवाद। विकासखंड छुरिया ग्राम सीताकसा कीश्रमिक श्रीमती ज्योतिन बाई ने बताया कि घाम-प्यास में काम करके आये रबे अऊ बोरे बासी ला गोंदली, आमा चटनी के संग खाथे तो आनंद आ जाथे। शरीर के पूरा थकान मिट जथे। बोरे-बासी के बात ही अलग हे बोरे बासी से अनेक प्रकार के कमजोरी दूर हो जाथे। हमर पूरा परिवार हा खेत से काम करके आके एक बटकी बोरे बासी मिर्ची चटनी के संग खाथे। बोरे-बासी दिवस मना के भूपेश सरकार हा हमर पुरातन संस्कृति बचात हे और याद दिलात हे। भूपेश सरकार ला बोरे बासी दिवस की हार्दिक बधई।
छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा, बोरे-बासी खाय ले रहिथे तबियत बढिय़ा – स्वच्छता दीदी
नगर पालिक निगम की स्वच्छता दीदी ने कहा कि छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा, बोरे-बासी खाय ले रहिथे तबियत बढिय़ा।

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