मोबाइल पर समय न व्यतीत कर बच्चों पर ध्यान दें – जैन संत हर्षित मुनि

 

राजनांदगांव (दैनिक पहुना)। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि बच्चा हमारा दायित्व है इसलिए उसके भविष्य पर ध्यान दें और उसे समय दें ताकि वह हमारी संस्कृति के प्रति जागरूक हो जो उसके सुंदर भविष्य गढ़ने में सहायक हो। उन्होंने कहा कि आप बच्चों को वात्सल्य दें लेकिन इतना लाड न दें कि बच्चे बिगड़ जाएं।
समता भवन में आज अपने नियमित प्रवचन के दौरान जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि जापान में माताएं, बच्चे को सहयोग नहीं करती और इजराइल में माताएंए अपने बच्चे के रास्ते में रोड़ा रख देती है ताकि बच्चे स्वयं इस बाधा को पार कर उस तक पहुंचे। बचपन में ही बच्चों को वहां स्वावलंबी बनना सिखाते हैं। हमारे भारत में माताएंए बच्चा अगर गिर जाए तो बच्चे की हौसला अफजाई ना करएजमीन को दोष देकर उसका ध्यान भटकाने की कोशिश करती हैं। उन्होंने कहा कि इससे वह बच्चों को कमजोर बनाती है। प्रकृति के साथ चलने और बाधाओं से जूझने की शक्ति बच्चे को बचपन से ही देनी चाहिएए ताकि बच्चे हर बाधा को पार कर सके। उन्होंने कहा कि यहां माता पिता ही नहीं परिवार के प्रत्येक सदस्य को बच्चा खिलौना लगता है। वह खिलौना नहीं है बल्कि भविष्य हैए इसलिए उसके भविष्य के प्रति जागरूक हों। उन्होंने कहा कि अगर प्रकृति ने आपको दायित्व सौंपा है तो उसे निभाएं। जितना परहेज आप खाने पीने में करते हैं उतना ही परहेज बच्चों के भविष्य को लेकर करें। बच्चों को समय दें।
संत श्री ने कहा कि बच्चा यदि गर्भ में हो तो माता.पिता को शीलव्रत का पालन करना चाहिए। इससे बच्चा शक्तिशाली होता है। उन्होंने कहा कि अंतर भावना गर्भ में पल रहे बच्चे को प्रभावित करती है इसलिए गर्भधारण के समय में माता पिता की भावना शुद्ध होनी चाहिए जिससे कि बच्चे में भी यह गुण आए। उन्होंने कहा कि हम अपने बच्चों को पैसे कमाने की मशीन समझते हैं और उसके भविष्य निर्माण की ओर ध्यान नहीं देते। हमें बच्चों को पैसे कमाने की मशीन न समझ कर एउसकी संस्कृति को मजबूत कर उसके भविष्य के निर्माण की ओर ध्यान देना चाहिए।
जैन संत ने फरमाया कि हमारा अधिकांश समय मोबाइल में बीत जाता है और हम बच्चों की ओर ध्यान नहीं देते हैं। उन्होंने कहा कि जब जब मोबाइल आपके सामने हो तब तब यह समझे कि हमें अपने बच्चे को समय देना है। यह हमारा दायित्व भी है। उन्होंने कहा कि बच्चों का भविष्य गढ़ें और उन्हें समय दें तथा उनमें संस्कार के बीज बोए। ऐसा होगा तभी बच्चे बुढ़ापे में आपको भी समय देंगे और उनका भविष्य भी मजबूत होगा ।

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