घर में लोग हो रहे हैं बीमार, कारण कहीं आपका मंदिर तो नहीं ?

 

धर्म शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार घर में छोटा सा मंदिर होना घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास बनाए रखता हैं. इससे घर में सुख-शांति बनी रहती हैं और धन आगमन बना रहता हैं. घर छोटा हो या बड़ा हों, हर घर में एक निश्चित स्थान मंदिर के लिए अवश्य रखा जाता हैं.

कई बार हम देखते हैं कि हम खूब मेहनत करते हैं, फिर भी परिवार का विकास और उन्नति सम्भव नहीं हो पाती हैं. घर में लोग बीमार होते रहते हैं. शांति की कमी होती है, तथा बच्चों की पढ़ाई और शादी में बाधा आती है. इस स्थिति में संभव हैं कि हम हमारे पूजा-पाठ में कुछ गलतियां कर रहें हों. घर के मंदिर से अनुकूल फल प्राप्त करने के लिए हमें कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए.

मंदिर का सही स्थान

वास्तु शास्त्र कहता हैं कि घर में छोटे आकार का ही मंदिर बनवाएं. बड़ा मंदिर और मंदिर में बड़े आकार की प्रतिमाएं नहीं होनी चाहिए. मंदिर के लिए घर के पूर्व-उत्तर दिशा का स्थान सबसे अधिक शुभ माना गया हैं. जहां तक संभव हो दक्षिण या दक्षिण पश्चिम दिशा में पूजा करना शुभ नहीं माना गया हैं. इसके अतिरिक्त एक ही मंदिर में दो शंख रखना भी शुभ नहीं कहा गया हैं.

एक भगवान की दो तस्वीर ना रखें

अपनी पूजा पाठ का सही फल पाने के लिए इस बात का ध्यान रखें कि घर के मंदिर में कभी भी एक भगवान की दो प्रतिमाएं या दो फोटो ना रखें. इसके अलावा यह भी ध्यान रखें कि मंदिर में गणेश जी की तीन प्रतिमाएं नहीं होनी चाहिए. यह शुभ नहीं माना जाता हैं. जिसके फलस्वरुप कार्यों में व्यर्थ की बाधाएं आनी शुरु हो जाती हैं.

खंडित मूर्ति

मंदिर में खंड़ित मूर्ति का होना शुभ नहीं माना जाता हैं. वास्तु शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र दोनों में इसे अशुभ फल देने वाला कहा गया हैं. वास्तु शास्त्र कहता हैं कि ऐसी मूर्तियां घर में रखने से घर में नकारात्मक प्रभाव बढ़ता हैं और हमारे आराधक रुष्ट होकर घर से चले जाते हैं.

मूर्तियों का आकार

देव पूजन के लिए घर के मंदिर में बड़े आकार की मूर्तियां रखना वर्जित हैं. यदि शिवलिंग भी रखना हैं तो वह भी बहुत छोटे आकार का ही रखें, यह अंगूठे के आकार से बड़ा नहीं होना चाहिए. बड़े आकार के शिवलिंग शुभता में कमी करते हैं.

अन्य ध्यान रखने योग्य बातें

  • घर में मंदिर की स्थापना कराते समय इस बात का ध्यान रखें कि घर के जिस स्थान पर मंदिर हों उसके आस-पास शौचालय न बनवाएं. रसोई, मंदिर और शौचालय एक पंक्ति में ना बनवाएं.
  • पूजा में देव को अंखड़ित चावल अर्पित नहीं करने चाहिए. चावलों को हल्दी से पीला करके अर्पित करना भी विशेष शुभता देता.
  • पूजा में जलाया गया दीपक कभी बूझाना नहीं चाहिए.
  • देवता को पूजा करते समय धूप, दीप और फूल चढ़ाएं, धोने से पूर्व साफ पानी से शुद्ध करके ही चढ़ाएं.
  • पूजा-पाठ कभी भी भूमि पर बैठकर ना करें, इसके लिए आसन का प्रयोग करें. आसन को पैर से खिसकाना सही नहीं माना गया हैं. आवश्यक होने पर हाथों का ही प्रयोग करें.
  • दीपक जलाते समय इसे भगवान के ठीक सम्मुख रखें.
  • पूजा-पाठ में किसी भी प्रकार की खंडित सामग्री का प्रयोग न करें. इससे अशुभता का प्रवेश होता हैं.
  • पूजा घर में साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए. किसी भी तरह का कबाड़ मंदिर या घर में नहीं रखना चाहिए.

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