नई दिल्ली. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (NFHS) की तरफ से जारी हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में हर पांचवां पुरुष यानी देश के 22.4% पुरुष शराब के शौकीन हैं. लेकिन अच्छी बात यह है कि भारत में शराब पीने वाले पुरुषों के प्रतिशत में कमी आई है. 2015-16 में यह आंकड़ा 29.2 प्रतिशत था जो कि अब कम हुआ है. हालांकि, कुछ राज्य राष्ट्रीय औसत से आगे निकल रहे हैं. शराब पीने वाले पुरुषों में 59.1 प्रतिशत के साथ गोवा सबसे आगे है, इसके बाद अरुणाचल प्रदेश (56.6 प्रतिशत), तेलंगाना (50 प्रतिशत), झारखंड (40.4 प्रतिशत), ओडिशा (38.4 प्रतिशत), सिक्किम (36.3 प्रतिशत), छत्तीसगढ़ (35.9 प्रतिशत), तमिलनाडु (32.8 प्रतिशत), उत्तराखंड (32.1 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (31.2 प्रतिशत), पंजाब (27.5 प्रतिशत), असम (26.5 प्रतिशत), केरल (26 प्रतिशत) और पश्चिम बंगाल (25.7 प्रतिशत) का स्थान है.
बिहार में 2016 में शराबबंदी लागू की गई थी लेकिन आंकड़े बताते हैं कि वहां भी शराब की खपत को खत्म नहीं किया जा सका है. 2015-16 में बिहार में शराब पीने वाले पुरुष 28.9 प्रतिशत थे और अब भी 17 प्रतिशत पुरुष शराब पीते हैं. ये जानकारियां राज्यसभा में डॉ. वी. शिवदासन की तरफ से उठाए गए सवाल के जवाब में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से आई हैं. शराब को लेकर 2015-16(NFHS-4) और 2019-21 (NFHS-5) के आंकड़ों का हवाला देते हुए, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा, ‘2015-16 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 15-49 साल की महिलाओं और पुरुषों का शराब का सेवन करने का प्रतिशत क्रमशः 1.2 प्रतिशत और 29.2 प्रतिशत था. 2019-21 में यह प्रतिशत महिलाओं के लिए 0.7 प्रतिशत और पुरुषों के लिए 22.4 प्रतिशत घट गया.’
एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस-5 के आंकड़ों की तुलना करें तो एक विरोधाभासी स्थिति देखने क मिलती है. भले ही राष्ट्रीय स्तर पर शराब पीने वालों की संख्या में कमी आई है लेकिन कुछ इलाकों में पीने वालों का प्रतिशत बढ़ा है. राष्ट्रीय स्तर पर, आंकड़े एक गंभीर कहानी बताते हैं. 2015-16 और 2019-21 के बीच, शराब का सेवन करने वाले 15-49 आयु वर्ग के पुरुषों का प्रतिशत 29.2 प्रतिशत से घटकर 22.4 प्रतिशत हो गया है. भारत में शराब पीने वाली महिलाओं की संख्या 1.2 प्रतिशत से घटकर 0.7 प्रतिशत हो गई.
हालिया आंकड़ों से ऐसा लगता है कि भारत अपनी संस्कृति पर जोर के साथ धीरे-धीरे शराब से दूर होता जा रहा है. लेकिन अगर आप आंकड़ों की गहराई में जाएं तो पता चलता है कि भारत के कई राज्यों में शराब पीने वाली महिलाओं और पुरुषों का आंकड़ा बढ़ रहा है. दिल्ली की बात करें तो, यहां शराब पीने वाली महिलाओं का प्रतिशत दोगुना से भी ज्यादा हो गया है. 2015-16 में दिल्ली में 0.6 प्रतिशत महिलाएं शराब पीती थीं जो 2019-21 में बढ़कर 1.4 प्रतिशत हो गया है. दिल्ली में पुरुष भी ज्यादा शराब पी रहे हैं, उनकी संख्या 24.7 प्रतिशत से बढ़कर 27.9 प्रतिशत हो गई है.
दिल्ली एक ऐसा शहर है जो शायद पुरानी रूढ़िवादिता के बोझ से खुद को हल्का कर रहा है, आधुनिक जीवन की भूलभुलैया में दिन भर भटकने के बाद व्हिस्की की एक चुस्की में सुकून पाता है. देश के पूर्वोत्तर छोर पर बसा अरुणाचल प्रदेश ऊबड़-खाबड़ पहाड़ों और कल-कल करती नदियों की भूमि है और यहां महिलाओं का शराब के साथ रिश्ता बाकी भारत से बिल्कुल अलग है. हालांकि, शराब पीने वाली महिलाओं की संख्या में गिरावट आई है. 2015-16 में जहां 26.3 प्रतिशत महिलाएं शराब पीती थीं, 2019-21 में यह आंकड़ा घटकर 17.8 प्रतिशत हो गया. इसके उलट, लक्षद्वीप में 0.1 प्रतिशत महिलाएं और मात्र 0.8 प्रतिशत पुरुष शराब ही शराब पीते हैं. और फिर आता है गोवा- भारत का सदाबहार स्वर्ग, जहां सूरज हाथ में कॉकटेल के साथ डूबता है और मौज-मस्ती का ज्वार कभी कम नहीं होता. गोवा में, पुरुषों की शराब की खपत 44.7 प्रतिशत से बढ़कर 59.1 प्रतिशत हो गई है. यहां तक कि शराब पीने वाली महिलाओं का आंकड़ा 4.2 प्रतिशत से बढ़कर 4.8 प्रतिशत हो गया है. हालांकि, सरकार इस उतार-चढ़ाव में महज मूक दर्शक नहीं है. मादक द्रव्यों के सेवन पर अंकुश लगाने के लिए केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीडीडीआर) की शुरुआत की है. इस योजना का गंभीर मिशन है- शिक्षा, पुनर्वास और जागरूकता अभियान. नशा मुक्त भारत अभियान, मादक द्रव्यों से मुक्त भारत का एक आह्वान है जो हेल्पलाइन और पुनर्वास केंद्र से लैस होकर आगे बढ़ रहा है. इस अभियान की महत्वाकांक्षा जितनी महान है उतनी ही बड़ी भी है. लेकिन शराब छोड़ने का रास्ता सांस्कृतिक विरोधाभासों से भरा हुआ है. एक देश जो तपस्वियों का सम्मान करता है, वह अपने त्योहारों में खूब शराब भी पीता है. यह एक ऐसा देश है जहां कुछ राज्यों में शराबबंदी कानून का बोलबाला है, वहीं दूसरे राज्यों में शराब का गिलास बेपरवाही से उठाया जाता है.