आजकर थाइराइड की समस्या बहुत कॉमन है। ठीक वैसे ही जैसे आपको शुगर, बीपी के मरीज मिल जाएंगे। मगर, इन सभी बीमारियों पर नियंत्रण नहीं रखा गया तो, ये शरीर के दूसरे अंगों को कब नुकसान पहुंच देगी पता भी नहीं चलेगा। थायराइड के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसके चलते अनियंत्रित तरीके से वजन बढ़ना, स्किन और बालों का ड्राई होना और मेंटल हेल्थ डिस्टर्ब होना शामिल है। बॉडी में थायराइड का बढ़ता और घटता स्तर हाइपो और हाइपर थाइरॉएडिज्म का कारण बन सकता है। ये दोनों ही स्थितियां शरीर के लिए सही नहीं हैं।
यदि आप इस बीमारी से पीड़ित हैं तो आयुर्वेद के अनुसार सुझाए गए सुपरफूड्स का सेवन करें। ये थायराइड हार्मोंस को नियंत्रित करने में मदद करेंगे। आईए इनके बारे में जानते हैं।
आंवला
एक आवंला में एक संतरे से 8 गुना ज़्यादा और अनार से लगभग 17 गुना ज़्यादा विटामिन C होता है। यह साधारण सा दिखने वाला भारतीय फल, पौष्टिक सुपरफ़ूड है। यह बालों के लिए एक सिद्ध टॉनिक है। यह बालों के सफेद होने की गति को रोकता है। बाल झड़ने कम करता है। आंवला सारे हार्मोंस को बैलेंस करता है।
तांबे के बर्तन में पानी पिएं
हमारे पूर्वजों कहते हैं कि ताबें के बर्तन में पानी पीने से दिमाग तेज होता है। इसका एक और साइंटिफिक फैक्ट है कि थायराइड जैसी अन्य तमाम ऑटो-इम्यून बीमारियों
का खतरा भी बेहद कम होता था। थायरॉइड मरीजों को रोज़ाना सुबह तांबे का पानी पीने की सलाह दी जाती है। रात को तांबे के बर्तन में पानी रखें, और सुबह इसे पी लें।
धनिया के बीज
धनिया के बीज फायदेमंद होते हैं। यह थायराइड हार्मोंस को संतुलित करने में कारगर होते है। सुबह 1 गिलास धनिया का पानी पीने से थायरॉइड संतुलन में अच्छे परिणाम मिलते हैं। धनिया के बीजों को रातभर के लिए पानी में भिगोकर छोड़ दें, और सुबह इसका पानी पिएं, इसके साथ ही आप चाहें तो धनिया के बीज को पानी में उबालकर भी इसे चाय के रूप में अपनी डाइट में शामिल कर सकती हैं। इसी तरह कद्दू के बीज जिंक का एक समृद्ध स्रोत होते हैं, जो शरीर में अन्य विटामिन और खनिजों को अवशोषित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे थायराइड हार्मोन के संश्लेषण और संतुलन को भी बढ़ावा मिलता है।आप इन्हें रोस्ट कर स्नैक्स में शामिल करें।
मूंग बींस
बींस में प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट और कई महत्वपूर्ण विटामिन और मिनरल्स की भरपूर मात्रा मौजूद होती है। इसके साथ ही ये फाइबर का एक अच्छा स्रोत होते हैं, जो कब्ज की स्थिति में बेहद कारगर साबित हो सकते हैं। मूंग, अधिकांश बीन्स की तरह, आयोडीन प्रदान करता है और मूंग के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि अन्य बीन्स की तुलना में इसे पचाने बेहद आसान होता है।