नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को नीति आयोग में अर्थशास्त्रियों के साथ बैठक की. इस बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौजूद रहीं. पीएम मोदी ने आगामी फरवरी में यूनियन बजट से पहले अर्थशास्त्रियों की राय और सुझाव लेने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति और इसकी चुनौतियों का आकलन किया. संसद का बजट सत्र (Parliament’s Budget Session) 31 जनवरी से 6 अप्रैल तक चलेगा. बजट सत्र की शुरुआत लोकसभा और राज्यसभा के जॉइंट सेशन से होगी. इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू दोनों सदनों को संबोधित करेंगी. यह संसद के दोनों सदनों को उनका पहला संबोधन होगा.
जानकारी के मुताबिक, बजट सत्र के पहले दिन दोनों सदनों में इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey 2023) को पेश किया जाएगा. इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में केंद्रीय बजट पेश करेंगी. बजट 1 फरवरी को पेश किया जा सकता है. बजट सत्र का पहला चरण 10 फरवरी तक जारी रह सकता है. इसके बाद दूसरा चरण 6 मार्च को शुरू होगा और यह 6 अप्रैल तक चलेगा. बजट सत्र के पहले चरण में राज्यसभा और लोकसभा में ‘राष्ट्रपति के संबोधन पर धन्यवाद प्रस्ताव’ पर चर्चा होगी. इसके बाद केंद्रीय बजट पर चर्चा की जाएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘राष्ट्रपति के संबोधन पर धन्यवाद प्रस्ताव’ पर जवाब देंगे.
इस बार बजट में MSME पर होगा फोकस?
वित्त मंत्री सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) भी केंद्रीय बजट पर होने वाली बहस का जवाब देंगी. बजट सत्र के दूसरे चरण के दौरान सरकार के विधायी एजेंडे के अलावा विभिन्न मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर प्रमुख ध्यान दिया जाता है, चर्चा होती है. केंद्रीय बजट (Union Budget 2023) को एक धन विधेयक (Money Bill) के तौर पर सत्र के इस भाग के दौरान पारित किया जाता है.
इस बार के आम बजट में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों पर केंद्रित एक औद्योगिक क्षेत्र विकास योजना का प्रस्ताव किए जाने की संभावना है. इसमें न केवल सामान्य बुनियादी ढांचे के साथ मौजूदा औद्योगिक क्षेत्रों का विस्तार होगा, बल्कि नए औद्योगिक क्षेत्रों को भी मजबूती मिलेगी.
भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर पर मंथन
सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी पहले आधिकारिक अनुमान के मुताबिक कमजोर मांग से प्रभावित भारतीय अर्थव्यवस्था के मार्च 2023 में समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में 7 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है. अगर ऐसा हुआ तो भारत अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश बने रहने का अपना ‘टैग’ खो सकता है. वित्त वर्ष 2021-22 में 8.7 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि के मुकाबले यह काफी कम है. नया अनुमान, केंद्र सरकार के पहले के 8-8.5 प्रतिशत विकास दर के अनुमान से भी बहुत कम है. लेकिन रिजर्व बैंक के 6.8 प्रतिशत के अनुमान से अधिक है. यदि पूर्वानुमान सच होता है, तो भारत की जीडीपी वृद्धि सऊदी अरब के अनुमानित 7.6 प्रतिशत के बाद दूसरे स्थान पर आ जाएगी. जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.3 फीसदी रही, जो सऊदी अरब की 8.7 फीसदी ग्रोथ रेट से कम थी.