पीएम मोदी ने की पुराने संसद भवन में आखिरी स्पीच
पुराने संसद भवन को विदाई देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 52 मिनट की आखिरी स्पीच दी। इस दौरान उन्होंने देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों को याद किया। पीएम मोदी ने सभी प्रधानमंत्रियों का बखान करते पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, पी वी नरसिम्हा राव और अटल बिहारी वाजपेयी सहित अन्य नेताओं का जिक्र किया।
पुरानी संसद की ”उपलब्धियां, अनुभव, यादें और सीख” पर बोले पीएम
इसके साथ ही लोकसभा में “संविधान सभा से शुरू हुई 75 साल की संसदीय यात्रा” पर चर्चा करते हुए पीएम ने लोकसभा को मनमोहन सिंह सरकार के दौरान ‘वोट के बदले नकद’ घोटाला भी याद दिलाया। साथ ही उन्होंने पुरानी संसद में ”उपलब्धियां, अनुभव, यादें और सीख” विषय पर चर्चा करते हुए कई बातें रखी है।
वाजपेयी सरकार के पलों को किया याद
पीएम मोदी ने वाजपेयी सरकार के पलों को याद करते हुए कहा कि जब वाजपेयी के समय में उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ के तीन नए राज्य बनाए गए थे तो हर जगह जश्न का मौहाल था, लेकिन साथ ही इस बात पर उन्होंने अफसोस भी जताया कि आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलंगाना बनाए जाने से दोनों राज्यों में केवल कड़वाहट और खून-खराबा हुआ।
पुरानी संसद को विदाई देते वक्त भावुक हुए पीएम मोदी
पुरानी संसद को विदाई देते वक्त पीएम मोदी भावुक हो गए। उन्होंने अपनी स्पीच के दौरान कहा, ”इस इमारत को विदाई देना बहुत भावुक क्षण है। जैसे ही हम इस इमारत को छोड़ेंगे, हमारा मन कई भावनाओं और यादों से भर जाएगा।”
पीएम ने भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त की बहादुरी को किया याद
अपने 52 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त की बहादुरी को याद किया। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश साम्राज्य को नींद से जगाने के लिए भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने संसद में बम फेंके थे। उस बम की गूंज आज भी उन लोगों की रातों की नींद हराम कर देती है, जो इस देश का भला नहीं चाहते हैं।”
मोदी ने कहा कि इसी संसद में पंडित नेहरू ने आधी रात को अपना ”नियति से साक्षात्कार” भाषण दिया था और उनके शब्द आज भी सभी को प्रेरित करते हैं। इसी सदन में, अटलजी के शब्द ‘सरकारें आएंगी, जाएंगी; पार्टियाँ बनेंगी, बिगड़ेंगी मगर ये देश रहना चाहिए’ की गूंज आज भी इस सदन में जारी है।