Jal Jan Abhiyan की शुरुआत पर बोले पीएम मोदी- जल रहेगा तभी आने वाला कल भी रहेगा

जयपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के सिरोही स्थित आबूरोड में गुरुवार को ब्रह्माकुमारी संस्थान के ‘जल जन अभियान’ की शुरुआत के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने जल सुरक्षा को भारत के लिए महत्वपूर्ण दायित्व बताते हुए कहा कि यह हमारी साझी जिम्मेदारी है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमें देशवासियों में जल संरक्षण के मूल्यों के प्रति फिर से प्राचीन आस्था पैदा करनी होगी. इस कार्यक्रम में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत भी मौजूद थे.

पीएम मोदी ने कहा,’ हमें हर उस विकृति को भी दूर करना होगा जो जल प्रदूषण का कारण बनती है.’ उन्होंने कहा, ‘जल जन अभियान ऐसे समय में शुरू हो रहा है, जब पानी की कमी को पूरे विश्व में भविष्य के संकट के रूप में देखा जा रहा है. 21वीं सदी में दुनिया इस बात की गंभीरता को समझ रही है कि हमारी धरती के पास जल संसाधन कितने सीमित हैं.’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इतनी बड़ी आबादी के कारण जल सुरक्षा भारत के लिए भी एक महत्वपूर्ण दायित्व है और हम सब की साझी जिम्मेदारी है. इसलिए आजादी के अमृतकाल में आज देश ‘जल को कल’ के रूप में देख रहा है. जल रहेगा तभी आने वाला कल भी रहेगा और इसके लिए हमें मिलकर आज से ही प्रयास करने होंगे.’

पीएम मोदी ने कहा, ‘मुझे संतोष है कि जल संरक्षण के संकल्प को अब देश एक जन आंदोलन के रूप में आगे बढ़ा रहा है. ब्रह्मकुमारी के इस जल जन अभियान से जन भागीदारी के इन प्रयासों को नई ताकत मिलेगी.’

उन्होंने कहा, ‘भारत के ऋषियों ने हजारों वर्ष पहले ही प्रकृति, पर्यावरण व पानी को लेकर संयमित, संतुलित व संवेदनशील व्यवस्था का सृजन किया था. हमारे यहां कहा गया है कि हम जल को नष्ट न करें उसका संरक्षण करें. यह भावना हजारों वर्षों से हमारे आध्यात्म व धर्म का हिस्सा है. यह हमारे समाज की संस्कृति है हमारे सामाजिक चिंतन का केंद्र है. इसलिए हम जल को देव की संज्ञा देते हैं नदियों को मां मानते हैं.’

पीएम मोदी ने कहा, ‘जब कोई समाज प्रकृति से ऐसे भावात्मक संबंध जोड़ लेता है तो दुनिया जिसे ‘सतत विकास’ कहती है वह उसकी सहज जीवन शैली बन जाता है. इसलिए आज जब भविष्य की चुनौतियों के समाधान खोज रहे हैं तो हमें अतीत की उस चेतना को पुनर्जागृत करना होगा.’ उन्होंने कहा, ‘हमें देशवाासियों में जल संरक्षण के मूल्यों के प्रति फिर से वैसी ही आस्था पैदा करनी होगी. हमें हर उस विकृति को भी दूर करना होगा जो जल प्रदूषण का कारण बनती है.’

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