बेंगलुरु: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानी शुक्रवार को बेंगलुरु के संस्थापक ‘नादप्रभु’ केम्पेगौड़ा की 108 फुट ऊंची कांस्य की प्रतिमा का अनावरण किया. ‘स्टैच्यू ऑफ प्रॉस्पेरिटी’ (समृद्धि की प्रतिमा) नामक यह प्रतिमा बेंगलुरु के विकास में शहर के संस्थापक केम्पेगौड़ा के योगदान की याद में बनाई गई है. लगभग 220 टन वजनी यह प्रतिमा यहां केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर स्थापित की गई है. इसमें लगी तलवार का वजन चार टन है.
समाचार एजेंसी एएनआई ने इसका एक वीडियो जारी किया है, जिसमें पीएम मोदी बेंगलुरु के संस्थापक ‘नादप्रभु’ केम्पेगौड़ा की 108 फुट ऊंची कांस्य की प्रतिमा का अनावरण करते हैं और जब ‘स्टैच्यू ऑफ प्रॉस्पेरिटी’का दरवाजा खुलता है तो केम्पेगौड़ा की एक भव्य और विशाल मूर्ति दिखती है, जिनके हाथ में एक तलवार होती है.
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi unveils 'Statue of Prosperity', the 108-feet bronze statue of Nadaprabhu Kempegowda, in Bengaluru
(Source: DD) pic.twitter.com/75WLwM4MrY
— ANI (@ANI) November 11, 2022
दरअसल, ‘नादप्रभु’ केम्पेगौड़ा की मूर्ति को जानेमाने मूर्तिकार और पद्म भूषण से सम्मानित राम वनजी सुतार ने तैयार किया है. सुतार वही हैं, जिन्होंने गुजरात में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ और बेंगलुरु के विधान सौध में महात्मा गांधी की प्रतिमा बनाई है. अनावरण से पहले ही केम्पेगौड़ा की 108 फुट ऊंची प्रतिमा को ‘वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में जगह मिल गई थी. इसकी जानकारी कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने दी थी और प्रमाण पत्र ट्वीट कर कहा था कि हमारे लिए गर्व की बात है कि वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के अनुसार ‘स्टैच्यू ऑफ प्रॉस्पेरिटी’ किसी शहर के संस्थापक की पहली और सबसे ऊंची कांस्य प्रतिमा है.
आखिर कौन हैं ‘नादप्रभु’ केम्पेगौड़ा
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, नादप्रभु केम्पेगौड़ा विजयनगर साम्राज्य के एक शासक थे. उन्हें 16वीं शताब्दी में बेंगलुरु के संस्थापक के रूप में भी जाना जाता है. मोरासु गौड़ा वंश के वंशज, केम्पेगौड़ा को अपने समय के सबसे शिक्षित और सफल शासकों में से एक माना जाता है. उनके भीतर बचपन से ही लीडरशीप क्वालिटी थी. कैम्पेगौड़ा के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने लगभग 46 साल तक विजयनगर साम्राज्य पर शासन किया था.