जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर पीएम मोदी की पहली प्रतिक्रिया आई, जानें क्या कहा….

PM Modi On Jagdeep Dhankhar Resignation: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर पीएम मोदी की पहली प्रतिक्रिया आ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धनखड़ के इस्तीफे के 14 घंटे बाद यह प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर दी है। सोशल मीडिया पर पीएम मोदी ने लिखा कि- श्री जगदीप धनखड़ जी को भारत सहित कई स्मारकों में देश की सेवा करने का अवसर मिला है। मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।

बता दें कि मानसून सत्र के पहले ही दिन देर रात (लगभग 9 बजे) 21 जुलाई को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया था।  दो साल का कार्यकाल बाकी होने के बावजूद उन्होंने अपने इस्तीफे की वजह स्वास्थ्य कारण बताए हैं। हालांकि, मानसून सत्र के पहले दिन ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की टाइमिंग को लेकर सवाल उठ रहे हैं। स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर इस्तीफा देने की बात न तो विपक्ष को पच रहा है और न ही राजनीतिक पंडितों को।

उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद जगदीप धनखड़ का यह कहना कि वो विदाई भाषण भी नहीं देंगे। अटकलों का बाजार गर्म कर रहा है। मतलब साफ नजर आने लगा है कि कहीं न कहीं सब कुछ राजी खुशी नहीं हुआ है।

अपने इस्तीफे में क्या बोले जगदीप धनखड़

जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित एक पत्र में स्वास्थ्य संबंधी कारणों और चिकित्सा सलाह का हवाला देते हुए संविधान के अनुच्छेद 67(a) के तहत अपने इस्तीफे की घोषणा की। राष्ट्रपति मुर्मू को संबोधित अपने पत्र में जगदीप धनखड़ ने लिखा, ‘स्वास्थ्य की प्राथमिकता और चिकित्सकीय सलाह का पालन करते हुए, मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूं। उन्होंने राष्ट्रपति को उनके सहयोग और सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद को भी उनके सहयोग और मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त किया।

कार्यकाल पूरा नहीं करने वाले धनखड़ तीसरे उपराष्ट्रपति 

जगदीप धनखड़ से पहले दो और उपराष्ट्रपति हुए जो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। जगदीप धनखड़ ने 11 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। 6 अगस्त, 2022 को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया था। जगदीप धनखड़ को कुल 725 में से 528 वोट मिले थे। जबकि मार्गरेट अल्वा को 182 वोट मिले थे।

धनखड़ से पहले कृष्ण कांत ने 21 अगस्त, 1997 को उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। लेकिन 27 जुलाई, 2002 को कार्यकाल के दौरान ही उनका निधन हो गया था। इस कारण वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके थे। इसके अलावा, वराहगिरि वेंकट गिरि (V.V. Giri) ने भी 1969 में उपराष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान इस्तीफा दे दिया था, ताकि राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ सकें।

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